
हमारे देश में अधिकारी शब्द जुबां पर आते ही एक सूट-बूट पहनने वाले व सभी भौतिक सुविधाओं का उपभोग करने वाले व्यक्ति का प्रतिबिंब सामने आता है। और अधिकारी आम लोगों से बातचीत से लेकर लोगों से मिलने तक का भी दायरा कम कर लेता है। अधिकारियों की यह आदतें न सिर्फ पद पर रहने तक रहती हैं, बल्कि रिटारमेंट के बाद भी ऐसी आदतें बनी रहती हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्तित्व से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो आईएएस अधिकारी रह चुके हैं लेकिन उनकी सादगी उनकी पहचान बन चुकी है।
जी हां हम बात कर रहे हैं 1968 बैच के आईएएस अधिकारी कमल टावरी की, खादी का कुर्ता, लुंगी, गम्छा व पैरों में बिना जूते चप्पल के साधारण से दिखने वाले यह शख्स लंबे समय तक आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। कमल टावरी एक फौजी भी रहे हैं, आईएएस ऑफिसर के रूप में कलेक्टर भी रहे, कमिश्नर भी रहे, भारत सरकार में सचिव भी रहे, एक लेखक भी हैं, समाज सेवी और मोटिवेटर भी हैं।
सादगी व खुल कर अपनी बात कहने वाले कमल टावरी सेवानिवृत्ति के बाद युवाओं को स्वरोज़गार के प्रति प्रेरित करते हैं, तथा लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने का हुनर सिखाते हैं। फखक्कड आईएएस के नाम से मशहूर कमल टावरी इन दिनों देवभूमि उत्तराखण्ड में हैं। देहरादून स्थित कम्बाइंड (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च कॉलेज में पहुंचे कमल टावरी ने यहां के छात्र-छात्राओं को संबोधित किया औऱ पढ़ाई के साथ स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कियाा।
सजग इंडिया के साथ खास बातचीत में डॉ. कमल टावरी ने अपने दिल कई राज खोले। उन्होंने बताया कि वह ट्यूशन के सख्त खिलाफ हैं, उन्होंने ट्यूशन को एक षणयन्त्र बताया है। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि आपको खुद मजबूत बनना होगा इसके लिए स्वरोजगार,पर्यावरण पूरक बनने की जरूरत है, खर्चों को कम करते हुए जीवन को आसान बनाने की कला सीखनी होगी। 76 साल की उम्र में देशभर में घूमने की इनर्जी कहां से आती है…? इस सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि वह स्वयं का मूत्र का सेवन करते हैं। वह जब कक्षा 6 में थे तब से अभी तक वह स्वमूत्र का सेवन कर रहे हैं।
कमल टावरी का जन्म 1 अगस्त 1946 को महाराष्ट्र के वर्धा में हुआ था. बचपन से ही इनमें कुछ अलग करने का जज़्बा था और इसी जज़्बे ने इन्हें हमेशा असंभव को संभव में बदलने की हिम्मत है। कमल टावरी ने सिविल सर्विसेज में आने से पहले 6 साल तक सेना में एक अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
वह इंडियन आर्मी का हिस्सा रहने के दौरान कर्नल के पद पर रहे तथा 1968 में वह आईएएस बने। टावरी 22 वर्षों तक ग्रामीण विकास, ग्रामोद्योग, पंचायती राज, खादी, उच्चस्तरीय लोक प्रशिक्षण जैसे विभाग में लोगों की सेवा करते रहे। कमल टावरी के लिए कहा जाता है कि अगर सरकार इन्हें सज़ा के रूप में किसी पिछड़े हुए विभाग में भी भेजती थी तो ये अपनी कार्यशैली से उस विभाग को भी महत्वपूर्ण बना देते थे। टावरी केन्द्रीय गृह मंत्रालय एवं नीति आयोग सहित विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं में उच्च पदों पर स्थापित होने के साथ साथ उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िला के डीएमम तथा फ़ैज़ाबाद जो अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है के कमिश्नर भी रहे।