श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय में आज कल शिक्षकों की संविलियन प्रक्रिया पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, ऋषिकेश मे जोर-शोर से चल रही है। पिछले दो दिनों मे 56 शिक्षकों का विश्वविद्यालय की सेवा में समायोजन हो चुका है। कुलपति डॉ0 ध्यानी उनसे रूबरू होने के लिये विश्वविद्यालय के मुख्यालय बादशाहीथौल (टिहरी) से ऋषिकेश परिसर पहुॅचे और सभी समायोजित शिक्षकों से रूबरू हुए। उन्होंने अपनी दूरदर्शिता, काम करने का ढंग और अपनी स्पष्ट सोच से सभी को अवगत कराया। साथ ही साथ, शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए और शैक्षणिक भ्रष्टाचार को समग्र रूप से दूर करने के लिये अपने मूल मंत्रों से अवगत कराया।
डॉ. ध्यानी ने कहा कि मनुष्य का मष्तिक इस पृथ्वी में सभी जीवों से सर्वोत्तम है क्योंकि वह लक्ष्य निर्धारित करता है, फिर मिशन मोड मे काम करता है और अपनी दूरदर्शिता से जीवन को जीता है। यदि वह अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा से अपने दायित्वों को निर्वहन करता रहे तो हर असम्भव कार्यो को सम्भव कर उदाहरण पेश कर सकता है। डॉ0 ध्यानी ने कहा कि हमें अपनी नकारात्मकता को सकारात्मकता पर हावी नहीं होने देना चाहिए, और ना ही अपनी सफलता के पथ पर असफलता को हावी होने देना चाहिए। उन्होंने बताया कि किस तरह दुनिया मे बुलंदियों पर पहुंची वैश्विक विभूतियों ने सफलता के रास्ते पर कई असफलताओं को प्राप्त किया लेकिन फिर भी वे सफल हुये, उन्होने कभी भी असफलता को सफलता प्राप्ति के रास्ते में हावी होने नहीं दिया।
डॉ0 ध्यानी ने आईस्टिन एलबर्ट, अब्राहिम लिंकन, बिलगेटस, स्टीफन किंग, जे0के0 रावलिंग, ओप्राह बिनफ्रे, वाल्ट डिजनी, कोलोनल सेंडरस, स्टीवन स्पिलबर्ग, थोमस एडिसन आदि विश्व विख्यात विभूतियों के जीवन और उनके संघर्षो व असफलताओं के बारे में सभी को विस्तृत रूप से अवगत कराया कि किस तरह उन्होने जीवन में सफलता प्राप्त कर दुनिया मे अपना अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। डॉ0 ध्यानी ने कहा कि हमें भी अपने ज्ञान, अनुभव और उम्र के आधार पर इस विश्वविद्यालय में एक नई इबारत लिखनी है। कुलपति की प्रथम कक्षा में, पहले ही दिन सभी समायोजित शिक्षक कुलपति के विचारों से प्रभावित हुये और अभिभूत हुए।