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अल्मोड़ा- कोरोना की आशंका से डॉक्टर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौड़ाते रहे, तब तक गर्भवती ने तोड़ दिया दम।

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पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का पहले से ही बुरा हाल है, कोरोना संक्रमण ने इनका और दम तोड़ दिया है। सरकार भले ही अपने बयानों में रोज हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार होने की बात कर रही हो, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और है। अस्पताल जाने वाले शख्स को कोरोना हो या ना हो लेकिन कोरोना से फैली अव्यवस्था पहले ही मरीज की जान ले रही है।

ऐसा ही एक मामला अल्मोड़ा जनपद से सामने आया है जहां कोरोना होने की आशंका के चलते एक गर्भवती महिला को निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल दौडाया और अंत में इलाज नहीं मिलने पर उसकी मौत हो गई। बताया गया है कि महिला को पहले टायफाइड हुआ था और सांस लेने में तकलीफ होने पर डॉक्टरों ने कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही इलाज की बात कही। बाद में महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पांच माह की गर्भवती आशा देवी बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंट चढ़ गई, जिस वक्त उसे इलाज की सख्त जरूरत थी उस वक्त वह कोरोना जांच के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल परिजनों के साथ भटक रही थी, अंत में इलाज न मिलने पर उसने दम तोड़ दिया। कोसी कटारमल निवासी गर्भवती आशा देवी की गुरुवार को जिला मुख्यालय के एक निजी अस्पताल पहुंची, महिला को सांस लेने में दिक्कत थी ऐसे में निजी अस्पताल से उसे सरकारी अस्पताल भेजा गया। बेस अस्पताल में महिला की कोरोना जांच हुई और महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन उसकी हालत बिगड़ने लगी। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया।

एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रैफर करने में गर्भवती की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई गर्भवती महिलाएं बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंच चढ चुकी हैं। जुलाई में भी बागेश्वर से रैफर होकर अल्मोड़ा महिला अस्पताल पहुंची 9 माह की गर्भवती इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ चुकी थी।