राज्य के निजी अस्पतालों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज हो सके इसके दिशा-निर्देश व शर्तें तय करने के लिए हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चन्द्र तथा राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी द्वारा संस्तुत किए गए दिशा-निर्देशों को राज्यपाल ने भी अब अपनी सहमति दे दी है। जिसके बाद शासन ने निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन जारी की है।
गाइडलाइन के मुताबिक चिकित्सालय क्लीनिकल स्टैबलिशमेंट एक्ट 2010 के निहित प्रावधानों के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए। चिकित्सालय में कोविड-19 मरीजों को रखने के लिए एक अलग वार्ड/ब्लॉक हो जिसमें प्रवेश एवं निकासी द्वार अलग हो।
आपातकालीन सेवाएं जिसमें 24 घंटे चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ तैनात हो एवं विशेषज्ञ चिकित्सक की ऑन कॉल सुविधा हो। चिकित्सालय में आईसीयू की सुविधा 24×7 हो। फार्मेसी की सुविधा 24×7 हो। आईसोलेशन वार्ड में प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा हो। बायोमेडिकल वेस्ट मैंनेजमेंट रूल्स-2016 के प्रावधानों का पालन चिकित्सालय में किया जा रहा हो व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राधिकार प्राप्त हो। समस्त मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टॉफ कोविड-19 से बचाव हेतु आई.पी.सी. प्रोटोकॉल एवं वेस्ट मैनेजमेन्ट प्रोटोकॉल में प्रशिक्षित हो। कोविड-19 से बचाव हेतु सोशल डिस्टेंसिंग के साथ उपयुक्त लॉजिस्टिक यथा पीपीई किट/ एन-95 त्रिपल लेयर सर्जिकल लेयर मास्क, फेस शील्ड, सेनिटाइजर आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो। समर्पित कोविड-19 एम्बुलेंस (Dedicated Covid-19 Ambulance) की सुविधा हो। कोविज-19 संक्रमित शवों का रख-रखाव तथा अंतिम संस्कार अत्यंत सावधानीपूर्वक ढंग से किया जाए। भर्ती रोगियों को कोविड-19 जांच की पुन: आवश्यक्ता पड़ने पर आईसीएमआर द्वारा कोविड-19 जांच हेतु अधिकृत निजी पैथोलॉजी लैब को सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर जांच कराया जा सकेगा। कोविड-19 संक्रमण का उपचार भारत सरकार एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा एवं समस्त कोविड-19 ग्रसित रोगियों की सूचना जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारियों/ नोडल जिला सर्विलांस अधिकारी को Real Time में उपलब्ध करानी होगी।