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अस्पतालों की संवेदनहीनता ने ले ली 24 वर्षीय प्रसूता की जान।

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प्रदेश की राजधानी देहरादून में देर शाम एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां अस्पतालों का चक्कर काटते- काटते 24 वर्षीय प्रसूता महिला की मौत हो गई है। महिला को उसके परिजन 4 अस्पतालों में ले गए लेकिन भर्ती नहीं किया गया। मामले में जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ ने जांच बैठा दी है।

देहरादून से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार में छपी खबर के मुताबिक देर शाम महिला ने दून अस्पताल के आईसीयू में दम तोड़ा। अखबार ने दून अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री के हवाले से लिखा है कि महिला करीब चार बजे गंभीर हालत में दून अस्पताल लाई गई, उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती किया गया डॉक्टरों की टीम ने इलाज शुरू किया और खून मंगवाया, लेकिन इलाज के दौरान खून की कमी के चलते उसकी मौत हो गई।

इससे पहले महिला गांधी अस्पताल से रैफर होकर सुबह साढ़े ग्यारह बजे दून अस्पताल आई थी, यहां डॉक्टरों ने देखा था। कोरोना संदिग्ध नहीं होने पर डॉक्टरों से उसे नॉन कोविड हायर सेंटर जहां आईसीयू की सुविधा हो के लिए रैफर कर दिया। बताया जा रहा है कि महिला सबसे पहले सुबह कोरोनेशन अस्पताल गई, इसके बाद उसे गांधी अस्पताल, वहां से रैफर कर दिया गया। इसके बाद दून और फिर पटेलनगर के दो निजी अस्पतालों में परिजन ले गए, एक निजी अस्पताल ने फिर दून अस्पताल भेजा।

मामले का संज्ञान लेते हुए सीएमओ देहरादून डॉ. बीसी रमोला ने कहा है कि जानकारी मिली है कि महिला को परिजन कोरोनेशन, गांधी शताब्दी, दून अस्पताल और दो निजी अस्पतालों में ले गए। कहां क्या स्थिति रही, इलाज क्यों नहीं मिला, किस स्तर पर चूक हुई, इसकी जांच कराई जाएगी। लापरवाही बरतने वालों को बिल्कुल नहीं बख्शा जाएगा।

बताया जा रहा है कि महिला की 9 जून को घर पर ही डिलीवरी हुई थी, डिलीवरी से पहले उसने एक नॉन कोविड अस्पताल में दिखाया था, लेकिन उसे अभी वक्त है कहकर घर भेज दिया गया, प्रीमेच्योर दो जुड़वा बच्चे होने पर उनकी मौत हो गई।

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