उत्तराखंड में म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। महामारी घोषित हो चुके ब्लैक फंगस के प्रदेश में अब 133 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अब तक 9 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। प्रदेश में आज कुल 15 ब्लैक फंगस के मरीज सामने आए हैं, जबकि 2 मरीजों की मौत भी हुई है।
प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए शासन ने अब इसके इलाज के लिए 12 कोविड अस्पतालों को अधिकृत किया है। जिससे की सभी ब्लैक फंगस मरीजों को उचित इलाज मिल सके। इन अस्पतालों से संबंधित समस्त चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है कि म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के उपचार की व्यवस्था करना तत्काल सुनिश्चित करें।
क्या है म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस)-
म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगल (कवक) इंफेक्शन है, जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद पाया जा रहा है। इस बीमारी में आंख या जबडे मे इंफेक्शन होता है, जिसके बढ़ने पर मरीज की जान जा सकती है। इसके शुरूआती लक्षण आंखों और नाक के पास लालिमा व दर्द होता है साथ ही बुखार व खून की उल्टी भी आ सकती है।
म्यूकरमाइकोसिस का कारक-
म्यूकरमाइकोसिस सबसे सामान्य रूप से राइपोजस प्रजाति से संबंधित मोल्ड, म्यूकोर प्रजातियां, कनिंघमेला बर्थोलेटिया, एपोफिसोमी प्रजातियां और लिक्टीमिया प्रजातियां शामिल हैं। यह आमतौर पर मिट्टी में पाए जाते हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमण का फैलाव-
- उपचार की गैर विसंक्रमित पट्टियों, लकडी की जीभ डिप्रेसरों, अस्पताल में प्रयोग होने वाले कपडे चादर आदि, ऋणात्मक दबाव वाले कमरे, पानी के रिसाव, खराब वायु निस्पंद, गैर विसंक्रमित चिकित्सा उपकरणों में उपस्थित बीजाणुओं के सांस द्वारा या वातावरण से अंतर्ग्रहण के माध्यम से हो सकता है।
- अस्पताल के अलावा घर पर भी निम्नलिखित परिस्थितियों में फैलने की संभावना अधिक रहती है-
- पुराने एयर कंडीशनर व कूलर, गंदे व सीलन युक्त कमरे, गंदे कपडे व चादरें, घाव को ढ़कने हेतु प्रयुक्त गंदी पट्टियां, पुरानी लकड़ी, मिट्टी, कमरों में वायु का उचित आदान-प्रदान न होना, बरसात का मौसम।
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण-
- आंखं व नाक के पास लालिमा चेहरे पर एकतरफा सूजन
- बुखार, सिरदर्द, खांसी सांस लेने में तकलीफ या दर्द, खून भरी उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव।
म्यूकरमाइकोसिस कोरोना के बाद क्यों?
- ब्लैक फंगस दुर्लभ है, लेकिन यह उन लोगों में अधिक आम है जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है या वे दवाएं लेते हैं जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की क्षमता को कम करते हैं। कोरोना के दौरान या ठीक हो चुके मरीजों को निम्न समस्याएं होने पर सावधानी बरतनी होगी-
- मधुमेह, विशेष रूप से कीटोएसिडोसिस के साथ, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण, स्टेम सेल प्रत्यारोपण
- न्यूट्रोपीनिया (खून में न्यूट्रोपिल की कमी), लंबे समय तक कार्टिकोस्टेराइड दवा का उपयोग, शरीर में बहुत अधिक आयरन
- सर्जरी, जलने या घाव के कारण त्वचा की चोट जो लंबे समय से ठीक ना हुई हो।
किसी को म्यूकरमाइकोसिस कैसे होता है-
- वातावरण में कवक बीजाणुओं के संपर्क में आने से लोगों में ब्लैक फंगस हो जाता है।
- कवक के माध्यम से त्वचा में संक्रमण हो सकता है, जो त्वचा पर खरोंच, जलन या अन्य प्रकार की त्वचा की चोट के माध्यम से प्रवेश करता है।
म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस से कैसे बचें-
- शुगर को कंट्रोल में रखें, कोविड के इलाज और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी ब्लड शुगर की जांच करते रहें।
- स्टीरॉयड को ध्यान से डॉक्टर की सलाह से ही लें। एंटीबॉयोटिक्स व एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्तेमाल करें।
- निर्माण या उत्खनन, धूल वाले क्षेत्रों से बचने की कोशिश करें, एन-95 मास्क पहनें, तूफान और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से बचें।
- ऐसी गतिविधियों से बचें जिसमें धूल या मिट्टी से सीधे संपर्क शामिल हो।
- मिट्टी, काई या खाद जैसी सामग्री को संभालते समय दस्ताने पहनें, त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं खासकर वह जब मिट्टी या धूल के संपर्क में हों।