इंटरनेट पर हमारी निर्भरता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हालांकि, इंटरनेट जितना हमारे लिए जरूरी है, अगली पीढ़ी के लिए उससे भी कहीं ज्यादा है। आजकल इंटरनेट का इस्तेमाल बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी कर रहे हैं। बच्चे गेम्स और कार्टून नेटवर्क के तौर पर इंटरनेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों को डिजिटल दुनिया से जुड़ी सारी जानकारी देना जरूरी हो जाता है।
डिजिटल दुनिया बच्चे के लिए सिर्फ नुकसानदेह ही नहीं बल्कि, इसके कई फायदे भी है। बस, जरूरी ये है कि आप आपने बच्चे का ध्यान उस ओर किस प्रकार से केंद्रित करते हैं। इंटरनेट की इस दुनिया में अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के कुछ तौर तरीके हैं, जिसके बारे में पेरेंट्स को पता होना चाहिए। आइए लेख में उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
एजुकेशनल एप्लिकेशन से बच्चों की कराएं दोस्ती
मनोविशेषज्ञों के अनुसार, 80000 से ज्यादा मोबाइल एप्लिकेशन को एजुकेशनल का दर्जा मिला हुआ है। माता-पिता होने के नाते बहुत जरूरी है कि आप इनमें से भी सबसे अच्छे एप का चुनाव अपने बच्चे के लिए करें और उसे डिजिटल दुनिया के इस हिस्से से रूबरू कराएं। कुछ एप्लिकेशन जैसे, बैजूज, स्टडी गियर, मेरिट नेशन और अनअकेडमी इत्यादि हैं। याद रहे, सब कुछ करते हुए भी आपको बच्चे की डिजिटल एक्टिविटी के बारे में जानकारी रखनी होगी। बच्चे को इससे पता रहेगा कि उस पर किसी की नजर है, वो कुछ भी देखने के लिए आजाद नहीं है। साथ में उनको असलियत से वाकिफ कराने की कोशिश कीजिए। जैसे अक्सर बच्चे कार्टून देखकर उसे सच मानने लगते हैं, ऐसे में उन्हें बताइए कि ये सच्चाई नहीं है, ये सिर्फ हंसने के लिए है।
एक समय सीमा निर्धारित करें
इंटरनेट के दुष्प्रभावों से बच्चे को दूर रखने के लिए निश्चित समय के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सलाह दें। ये ठीक उसी प्रकार होना चाहिए जैसे आपने उनके खेलने और टीवी देखने का समय निर्धारित कर रखा है। इस समय को टुकड़ों में बांटना भी उन्हें नुकसान से बचा सकता है। इसके अलावा आप बच्चे को निश्चित डाटा ही इस्तेमाल करने की अनुमति दें। डाटा खत्म हो जाने पर जब उसे इंटरनेट नहीं मिल पाएगा तो वो खुद ही इसका उपयुक्त इस्तेमाल करना सीख जाएगा।
हमेशा बच्चों से उनकी उम्र के अनुसार पेश आएं
दस साल की उम्र तक के बच्चे को इंटरनेट का इस्तेमाल आप अपने सामने ही करने की अनुमति दें। यदि वो कार्टून, ई-स्टोरी या पढ़ाई से संबंधित कुछ भी इंटरनेट पर देखना चाहता है तो खुद उसके साथ बैठकर दिखाए। 11 से 14 साल तक के बच्चे में थोड़ी समझ होती है और वो सही-गलत का कुछ अंतर समझने लगते हैं। यदि वो समझदार है तो कुछ देर उसे अपनी मर्जी से इंटरनेट चलाने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन यदि वह समझदारी नहीं दिखाता है तो खुद की देखरेख में ही उसे इंटरनेट का इस्तेमाल करने दें। बच्चे से इंटरनेट से जुड़ी बातें करती रहें और उन्हें इंटरनेट पर सुरक्षित रहने के टिप्स देते रहें। कोई भी ऐसी परिस्थिति न खड़ी होने दें, जिससे बच्चा छिपकर इंटरनेट चलाने लगे।
जानलेवा है गेम की लत!
इंटरनेट के लगातार इस्तेमाल से बच्चे को सिर्फ सोशल मीडिया की ही नहीं ब्लकि इंटरनेट व मोबाइल पर खेले जाने वाले कई तरह के गेम की भी लत लग सकती है। जो बच्चे के न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। पिछले कुछ समय में मोमो चैलेंज, ब्लू व्हेल गेम और पबजी जैसे कई मोबाइल गेम बच्चों पर बुरे प्रभाव डाले हैं। इन गेमों की न सिर्फ बच्चों को लत लग जाती है, बल्कि इसमें से कुछ गेम बच्चों को आत्महत्या तक करने के लिए उकसाते हैं। मोमो चैलेंज व ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के कारण दुनिया भर में कई बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। इसलिए कई जगहों पर ऐसे गेम्स प्रतिबंधित हैं। आपको न सिर्फ बच्चे को इंटरनेट के सही इस्तेमाल के बारे में बताते रहना होगा, ब्लकि उन्हें इस प्रकार के गेम से दूर रखने का प्रयत्न भी करना होगा।
टेक्नोलॉजी के बारे में दें सही जानकारी
इस बात से तो आप भी सहमत होंगे कि भविष्य टेक्नोलॉजी का है। टेक्नोलॉजी से जुड़े नए स्किल्स सीखने में स्मार्टफोन आपके बच्चे के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं। वह अपनी पसंद की चीजें व टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन की मदद से सीख सकता है। स्मार्टफोन और इंटरनेट से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आपको अपने बच्चे को इनसे दूर न करे बल्कि इसका सही तरह से इस्तेमाल करना सिखायें।
बच्चों के लिए एक अच्छे रोल मॉडल बनें
अपने बच्चे को हमेशा सही और अच्छे शिष्टाचार सिखाएं, क्योंकि बच्चे ही देश के भविष्य हैं। आप अपने बच्चे को जिस दिशा में लेके जायेंगे वो उसी दिशा मे आगे बढ़ेंगे। माता पिता को भी डिजिटल दुनिया से खुद को दूर रखने के लिए निश्चित समय के लिए ही इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे आप अपने बच्चे पर ज्यादा समय दे पायेंगे और बच्चे पर डिजिटल दुनिया का बुरा प्रभाव भी नही पड़ेगा। हमेशा अपने बच्चे का सही मार्गदर्शन करें। बच्चे की सुरक्षा के लिए एक अभिभावक के रूप में आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे के स्वभाव व गतिविधियों पर नजर रखें। अगर बच्चा कुछ असामान्य व्यवहार कर रहा है या फिर खुद को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है तो तुरंत उससे बात करें। जरूरत हो तो बाल मनोविशेषज्ञ की मदद लें।