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अल्मोड़ा- जंगल में महिला का प्रसव होने पर डीएम गंभीर, डीएम ने सीएमओ को दिए ये सख्त निर्देश….

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अल्मोड़ा जनपद के भैंसियाछाना ब्लॉक अंतर्गत पतलचौरा गांव की महिला का जंगल में बच्चे को जन्म देने की घटना को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए हैं कि जिले में जो भी क्षेत्र सड़क मार्ग से दूर हों, जहॉ पर आने-जाने की सुविधा उपलब्ध न हो व सड़कें बन्द हो या जगह-जगह क्षतिग्रस्त हों, उन क्षेत्रों की गर्भवती महिला को सम्भावित प्रसव तिथि से कम से कम 04 दिन पूर्व आशा/ए.एन.एम. के माध्यम से नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में भर्ती किया जाय, ताकि संस्थागत प्रसव कराते हुए मां एवं बच्चे (जच्चा-बच्चा) को सुरक्षित किया जा सके।

बता दें कि भैंसियाछाना ब्लॉक के पतलचौरा गांव की गर्भवती महिला को मंगलवार रात अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी। परिजनों ने गर्भवती को गांव से 5 किलोमीटर दूर धौलछीना स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने की तैयारी की। ग्रामीणों की मदद से परिजन गर्भवती को डोली में स्वास्थ्य केन्द्र के लिए निकले और करीब ढ़ाई किलोमीटर की चढ़ाई पार करने के बाद अचानक गर्भवती की प्रसव पीड़ा बढ़ी और उसे डोली से उतारना पड़ा। जिसके बाद ग्रामीणों ने आस-पास की महिलाओं को बुलाकर जंगल में ही महिला का प्रसव कराया। लगातार हो रही बारिश में ग्रामीणों ने टार्च व मोबाइल की रोशनी में छाता लगाकर किसी तरह महिला व नवजात की जान बचाई। बारिश रूकने के बाद परिजन जच्चा-बच्चा को डोली में रखकर वापस घर लौट आए।

जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को दिए ये निर्देश-

जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिये हैं, कि यदि किसी परिस्थितिवश गर्भवती महिला चिकित्सालय में प्रसव पूर्व भर्ती नहीं होना चाहती है तो आशा एवं एन.एन.एम. उनसे लिखित में सहमति प्राप्त भी करना सुनिश्चित करें। तथा लगातार उनके संपर्क में रहें। उन्होंने कहा कि भविष्य में कोई भी प्रसव जंगल अथवा रास्ते में होते हैं तथा प्रसव के दौरान गर्भवती माता अथवा बच्चे की मृत्यु, चिकित्सा में समय पर न पंहुचने से, देरी के कारण होती है तो सम्बन्धित क्षेत्र की ए.एन.एम. आशा एवं प्रभारी चिकित्सा अधिकारी उत्तरदायी रहेंगे।

जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिये कि अपने अधीन कार्यरत समस्त आशा/आशा फेसिलिटेटर एवं ए.एन.एम. को निर्देशित करें कि वह प्रसव पूर्व महिला का नियमित फॉलोअप लें ताकि समयपूर्व उसे चिकित्सालय में भर्ती कर सुरक्षित प्रसव करवाया जा सके एवं मातृ-मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके।

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