उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। प्रदेश में कई सामाजिक संगठन व पेरेंट्स एसोसिएशन से जुड़े लोग प्राइवेट स्कूलों में फीस माफ करने की मांग सरकार से कर रहे थे। जिसमें कुछ भाजपा नेताओं का साथ भी इन्हें मिला और सरकार से तीन माह की फीस माफ करने की मांग की गई। इसी सिलसिले में आज शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने मुख्य सचिव के साथ सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियोकांफ्रेसिंग के जरिए वार्ता की, इस वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोई भी प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा फिलहाल कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस महामारी की घड़ी में वह अभिभावकों के साथ खड़े हैं, इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि सभी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं ले पाएंगे।
शिक्षा मंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद प्राइवेट स्कूल अब स्कूल बंद रहने के दौरान ट्रांसपोर्ट शुल्क, कम्प्यूटर शुल्क, लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स एक्टिविटी शुल्क इत्यादि नहीं ले पाएंगे। साथ ही शिक्षा मंत्री ने कहा है कि हालात सामान्य होने के बाद अभिभावकों से ट्यूशन फीस एक साथ न वसूली जाए, फीस किश्तों में ली जाए। हालांकि उन्होंने कहा है कि जो अभिभावक फीस देने में सक्षम हैं वह फीस दे दें।
वहीं शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी की किताबों को ही चलाने के निर्देश दिए हैं, उन्होंने कहा कि कई स्कूलों को लेकर शिकायतें मिल रही हैं कि वह एनसीईआरटी की पुस्तकों की जगह प्राइवेट लेखकों की किताबें चला रहे हैं, वह साफ करना चाहते हैं कि लॉकडाउन कि वजह से एनसीईआरटी ने 4 सप्ताह का सिलेबस कम कर दिया है, इसलिए सरकार ने नियम बनाया है कि सभी स्कूल एनसीईआरटी की किताबों को ही लागू करेंगे, ऐसा नहीं करने वाले स्कूलों की शिकायत मिलने पर मान्यता रद्द कर दी जाएगी। स्कूल की शिकायत मिलने पर यदि अधिकारी ने स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।