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सरकार प्रवासियों की सफलता पूर्वक करा रही घर वापसी, लेकिन अब चुनौतियां भी बढ़ी।

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उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रवासियों को घर वापस लाने का अभियान जोर पकड़ चुका, अब बसों के साथ ही स्पेशल ट्रेनों के जरिए भी प्रवासियों की घर वापसी कराई जा रही है। राज्य सरकार द्वारा 11 मई तक जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 1 लाख 98 हजार से अधिक लोग उत्तराखंड आने के लिएआवेदन कर चुके हैं। जिनमें से 51,394 लोगों को उत्तराखंड लाया जा चुका है। प्रवासियों के उत्तराखंड लौटने पर सरकार के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हो चुकी है। बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से लौट रहे प्रवासियों के साथ राज्य में कोरोना के मामले बढ़ने की भी आशंका है, जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी स्वीकार चुकें हैं।

यह आशंका अब हकीकत में बदलती नजर आ रही है, क्योंकि ऊधमसिंहनगर, उत्तरकाशी के बाद नैनीताल जिले में मिले कोरोना पॉजिटिव अन्य राज्यों से ही अपने घर लौटे हैं। ऊधमसिंहनगर में कोरोना पॉजिटिव मुंबई से अपने घर लौटे थे, तो उत्तरकाशी में युवक सूरत से घर लौटा था वहीं 12 मई को हल्द्वानी में मिली कोरोना पॉजिटिव महिला गुडगाँव से लौटी थी।

सरकार से सामने सबसे बड़ी चुनौती बड़ी संख्या में अपने घर वापस लौट रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन किए जाने की है। हालांकि लौट रहे प्रवासियों को होम क्वारंटाइन किया जा रहा है, साथ ही ग्रामपंचायतों को इनकी निगरानी के लिए कुछ अधिकार भी दिए गए हैं। वहीं किसी भी प्रवासी में कोरोना जैसे संदिग्ध लक्षण मिलने पर उन्हें डॉक्टरों की देखरेख में क्वारंटाइन किया जा रहा है, और सैंपल लिए जा रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे प्रदेश में वापस लौटने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी, इनमें संदिग्ध लक्षणों वाले लोगों को संख्या भी अधिक होगी और सरकार के सामने इन्हें क्वारंटाइन करने की चुनौती के साथ ही सैंम्पलिंग लेने की चुनौती भी होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में यह चुनौती और अधिक बढ़ी है, क्योंकि यहां पंचायत भवनों में भी क्वारंनटाइन की उचित व्यवस्था नहीं है, एक बार अधिक लोगों को क्वारंनटाइन करने के लिए जगह की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव अधिक चिंता बढ़ा सकता है।