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उत्तराखण्ड़ में 234 बांडधारी डॉक्टर होंगे बर्खास्त, बांड़ रकम की भी होगी वसूली…

स्वास्थ्य विभाग इन डॉक्टरों की सूची नेशनल मेडिकल काउंसिल को भेजेगा

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उत्तराखण्ड़ में लंबे समय से गायब चल रहे सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ चिकित्सा एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है, विभाग ने 234 बांडधारी डॉक्टरों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है। विभाग इन डॉक्टरों की सूची नेशनल मेडिकल काउंसिल को भी उपलब्ध कराएगा। बॉन्ड की रकम के रूप में डॉक्टरों से दो करोड़ रुपए तक वसूले जा सकते है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि कई डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्होंने राज्य से कम शुल्क में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर बॉन्ड की शर्तों का उल्लंघन किया है। ऐसे करीब 234 डॉक्टर सामने आए हैं, बताया जा रहा है कि ये डॉक्टर लंबे समय से बिना सूचना के गैरहाजिर चल रहे हैं। ऐसे में इन सभी 234 डॉक्टरों के खिलाफ बर्खास्तगी के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गए हैं।

मेडिकल कॉलेजों के साथ हुए अनुबंध के अनुसार इन डॉक्टरों को एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होते ही स्वास्थ्य विभाग के तहत पर्वतीय जिलों में तैनाती दी गई थी। यहां पर इनको कम से कम 5 साल तक अपनी सेवाएं देना अनिवार्य था, ऐसा न करने की स्थिति में इन चिकित्सकों को बॉन्ड में निर्धारित धनराशि जमाकर एनओसी लेने के बाद ही राज्य से बाहर या फिर निजी प्रैक्टिस की अनुमति दी जा सकती है। बावजूद इसके प्रदेश के पर्वतीय जिलों में तैनात 234 डॉक्टर्स बिना अनुमति के अपनी तैनाती स्थल से गैरहाजिर चल रहे हैं। ये बॉन्ड की शर्तों के उल्लंघन के साथ ही अनुशासनहीनता की श्रेणी में भी आता है।

ऐसे में जो चिकित्सक लम्बे समय से गैरहाजिर हैं, उनमें से राजकीय दून मेडिकल कॉलेज से 56, हल्द्वानी से 95 और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से 83 पासआउट हैं। इन्होंने एमबीबीएस में प्रवेश के समय इन कॉलेजों के साथ 5 साल पर्वतीय क्षेत्रों में सेवाएं देने का अनुबंध किया हुआ है, साथ ही संबंधित कॉलेजों में इन छात्रों से संबंधी मूल दस्तावेज व चिकित्सा शैक्षिक प्रमाण पत्र भी जमा हैं। राज्य सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते निदेशक चिकित्सा शिक्षा को गैरहाजिर सभी चिकित्सकों से बॉन्ड की शर्तों के अनुसार बॉन्ड की धनराशि वसूलने के निर्देश दिये हैं।

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