कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के भरण-पोषण के लिए राज्य सरकारें अपनी तरफ से योजनाएं बना रही हैं तो वहीं अब केन्द्र सरकार ने भी ऐसे बच्चों के लिए कल्याणकारी फैसलों की घोषणा की है। इसके तहत अब ये बच्चे जब 18 साल के होंगे तो उनके लिए 10 लाख रूपए की राशि सुनिश्चित की गई है। साथ ही उनकी शिक्षा के लिए भी प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया है कि ऐसे बच्चों के नाम फिक्स्ड डिपॉजिट खाते खोले जाएंगे, और इसके लिए पीएम केयर्स फंड से पैंसा दिया जाएगा। इसके तहत 10 लाख रूपए की रकम उनकी 18 साल की उम्र पूरा होने पर दिया जाएगा। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
18 साल की उम्र पूरी हो जाने पर इन बच्चों को हर महीने वित्तीय मदद या वजीफे के तौर पर अगले पांच साल के लिए कुछ रकम मिलती रहेगी। इस पैंसे से वह अपनी उच्च शिक्षा के दौरान निजी जरूरतें पूरी कर सकेंगे 23 साल की उम्र पूरी हो जाने पर उन्हें एक निश्चित रकम एकमुश्त रूप में मिलेगी जिसका वे पेशेवर या निजी इस्तेमाल कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि दस साल से छोटी उम्र के बच्चों को नजदीक के केन्द्रीय विद्यालय या प्राइवेट स्कूल में दाखिला कराया जाएगा। जो बच्चे 11 साल से 18 साल की उम्र के बीच के हैं, उन्हें केन्द्र सरकार के आवासीय स्कूलों जैसे सैनिक स्कूल और नवोदय में दाखिला दिया जाएगा, अगर ये बच्चे अपने विस्तृत परिवार की निगरानी में रहते हैं तो वे नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या प्राइवेट स्कूल में दाखिला करा सकेंगे।
अगर बच्चे का दाखिला प्राइवेट स्कूल में कराया जाता है तो उसकी फीस शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पीएम केयर्स फंड से दी जाएगी। उच्च शिक्षा के लिए बच्चे मौजूदा प्रावधानों के तहत लोन ले सकेंगे और इसका ब्याज पीएम केयर्स फंड के तहत भरा जाएगा।