उत्तराखंड में केमिकल आपदा जैसी घटनाओं को निपटने के लिए आज 3 जिलों में मॉक ड्रिल की गई। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में चलाया गया, भोपाल गैस कांड जैसी आपदा से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और गृह मंत्रालय की ओर से मॉक ड्रिल की गई। इस दौरान सभी विभागों की सतर्कता देखी गई। देहरादून सचिवालय के आपदा कंट्रोल रूम से इस पर निगरानी रखी गई जिसमें एनडीआरएफ के साथ-साथ एसडीआरएफ, उत्तराखंड पुलिस, पैरामिलिट्री एयर फोर्स के आला अधिकारी मौजूद रहे।
जानकारी के अनुसार, देहरादून में सुबह 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। जिसके कारण सेलाकुई की रासायनिक फैक्ट्री में काफी नुकसान हुआ। इसकी सूचना मिलते ही वहां आपदा प्रबंधन की टीम पहुंची और राहत-बचाव कार्य किया। वहीं, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर की सिडकुल फैक्ट्री में भी नुकसान हुआ। टाटा और सनसेरा कंपनी में रसायनिक पदार्थों से घायल व्यक्तियों को जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया।
एनडीएमए द्वारा चलाई जा रही यह एक मॉक एक्सरसाइज है। जिसमें सभी विभागों के बीच समन्वय औऱ कितनी तेज़ी से राहत बचाव कार्य किया जा सकता है, यह चैक किया जा रहा है। ताकि भविष्य में कभी इस तरह की घटनाएं होती है तो कम से कम समय में राहत बचाव कार्य शुरू हो सके और उससे समय पर निपटा जा सके।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी बुधवार को सचिवालय स्थित राज्य आपदा परिचालन केन्द्र पहुंचे। मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा परिचालन केन्द्र में रासायनिक आपदा पर राज्य स्तरीय माॅक ड्रिल का निरीक्षण किया। मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने आपदा जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए इस प्रकार की माॅक ड्रिल को आवश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर इस प्रकार के अभ्यास से कार्यक्षमता में भी सुधार होता है। इससे आपदा जैसी परिस्थितियों में कुशलता पूर्वक राहत पहुंचायी जा सकती है।