गुजरात के बाद भाजपा शासित उत्तराखंड राज्य की सरकार ने भी केंद्रीय मोटर व्हिकल एक्ट के तहत होने वाले जुर्माने की राशि में बड़ी राहत दी है। हालांकि अधिनियम की कई धाराओं में दर्ज दंड की राशि को प्रदेश सरकार ने यथावत रखा है, लेकिन कुछ धाराओं में भारी भरकम जुर्माने की राशि में 50 से 75 फीसदी तक कमी की गई है। नए प्रावधान से कंपाउंडिंग की जारी दरों में खासा इजाफा हुआ है। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में परिवहन विभाग द्वारा तैयार कंपाउंडिंग शुल्क की दरों के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इसके तहत वाहन संचालन के लिए अपात्र व्यक्ति के सार्वजनिक स्थान पर वाहन चलाते पकड़े जाने पर अब 10 हजार का जुर्माना नहीं वसूला जाएगा। इस धारा के तहत पकड़े जाने पर उसे 5000 का जुर्माना ही देना होगा। इसी तरह अव्यस्क व्यक्ति द्वारा या बिना लाइसेंस वाहन चलाते पकड़े जाने पर अब 5000 रुपये के स्थान पर 2500 रुपये का जुर्माना लिया जाएगा। ऐसे ही विभिन्न धाराओं में नई दरों का निर्धारण किया है जो इस प्रकार है:-
एक्ट के इन प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं
हेल्टमेट का उपयोग न करने पर 1000 रुपये एवं तीन माह तक लाइसेंस निलंबित।
सील्ट बेल्ट का इस्तेमाल न करने पर 1000 रुपये।
ऐसे अपराध जिनमें कोई प्रावधान नहीं- पहली बार 500 रुपये दूसरी बार 1500 रुपये।
स्टेज कैरेज वाहनों में बिना वैध पास या बिना टिकट यात्रा 500 रुपये।
स्टेज कैरेज के कंडक्टर द्वारा कर्तव्य का पालन न करना 500 रुपये।
दुपहिया तीन पहिया वाहन द्वारा यात्री को ले जाने से मना करना 500 रुपये।
प्राधिकारी के आदेश को न मानने या कार्य में बाधा डालने पर 2000 रुपये।
जानबूझकर सूचना न देने पर 2000 रुपये।
खतरनाक ढंग से वाहन चालने पर पहली बार 1000 और दूसरी बार 2000 रुपये।
सार्वजनिक स्थान पर अनावश्यक हार्न का उपयोग या वाहन के साइलेंसर में बदलाव पर 1000 रुपये पहली बार दूसरी व बार-बार 2000 रुपये।
वाहन में अनधिकृत दखल देना या उसमें छेड़छाड़ करना 1000 रुपये।
बिना आरसी वाहन चालने पर पहली बार में 5000 रुपये और दूसरी पर 10,000 रुपये।
शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति द्वारा वाहन चलाने पर पहली बार 1000 रुपये दूसरी बार 2000 रुपये।
जिन प्रावधानों में जुर्माने से मिली राहत
अनधिकृत व्यक्ति द्वारा वाहन चलाने की अनुमित देने पर 5000 से घटाकर 2500 रुपये।
बिना लाइसेंस या अव्यस्क व्यक्ति वाहन चलाते पकड़े जाने पर 5000 से घटाकर 2500 रुपये।
लाइसेंस धारण करने से अपात्र होने पर भी वाहन चलाते पकड़े जाने पर 10,000 से घटाकर 5000 रुपये।
लाइसेंस धारण करने से अपात्र होने पर भी मंजिली गाड़ी में परिचालन करते पकड़े जाने पर 10,000 से घटाकर 5000 रुपये।
ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण के लिए जुर्माने की राशि को घटाकर 10,000 से 2500 रुपये किया, दूसरी बार 5000 रुपये।
वाहन निर्माता, आयातकर्ता या डीलर द्वारा नियमों के विपरीत वाहन बेचने पर एक लाख से घटाकर 50,000 रुपये जुर्माना।
किसी व्यक्ति द्वारा नियमों के विपरीत वाहन से संबंधित किन्ही सुरक्षा उपकरणों को बेचने एक लाख से घटाकर 50,000 रुपये।
वाहन चालते समय मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 5000 रुपये के स्थान पर पहली बार 1000 रुपये, दूसरी व बार-बार 5,000 रुपये।
वाहन तोलने से इंकार करने पर 40,000 से घटाकर 20,000 रुपये।
वाहन क्षमता से अधिक सवारी ले जाने पर 200 रुपये प्रति यात्री के स्थान पर प्रति अधिक सवारी 200 रुपये।
किसी बच्चे को सेफ्टी बेल्ट से सुरक्षित न करने पर 1000 रुपये से घटाकर 200 रुपये करना।
फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस या आकस्मिक यान का रास्ता रोकने पर 10,000 रुपये के स्थान पर 5000 रुपये।
बगैर बीमा वाहन चलाने पर दुपहिया व तिपहिया के लिए 1000 रुपये व अन्य वाहनों के 2000 रुपये किया।
दूसरी व बार-बार पकड़े जाने पर दुपहिया व तिपहिया वानह के लिए 2000 और अन्य के 4000 रुपये होगा जुर्माना।
केंद्रीय अधिनियम में पहली बार 2000 रुपये और दूसरी व बार-बार 4000 रुपये का किया है प्रावधान।
बिना परमिट वाहन चालने पर पहली बार 10 हजार की बजाय 5000 रुपये व दूसरी बार 10 हजार रुपये जुर्माना।
ओवरलोडिंग होने पर 20,000 व प्रत्येक अतिरिक्त टन या उसके भाग के लिए 2000 रुपये के स्थान पर 2000 रुपये हल्का मोटर वाहन के लिए, 5000 रुपये मध्यम व भारी मोटर वाहन के लिए और प्रत्येक अतिरिक्त टन या उसके भाग के लिए 2000 रुपये के साथ माल उतारने का व्यय।
वाहन से माल का बाडी से बाहर निकले होने पर 20,000 रुपये से घटाकर दो हजार रुपये हल्का वाहन के लिए पांच हजार मध्यम एवं भारी वाहन के लिए व माल उतारने का शुल्क अलग से।
राज्य सरकार ने बढ़ाया भी
सरकार की अनुमति के बिना रेस या ट्रायल में भाग लेने वाले वाहन पर पहली बार 5000 रुपये, दूसरी बार 10,000 रुपये किया जबकि केंद्र सरकार ने 5000 रुपये का प्रावधान किया है। यह निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ।
बैठक में 16 प्रस्ताव रखे गए, जिसपर 15 को मंजूरी मिल गई। उत्तराखंड जल नीति के आए प्रस्ताव पर विचार किया गया, लेकिन उसे अगली कैबिनेट में दोबारा लाने का निर्णय हुआ। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि परिवहन विभाग ने नए मोटरयान अधिनियम के तहत कंपाउंडिंग शुल्क की दरों का प्रस्ताव रखा, जिसमें संशोधन करते हुए वाहन चालकों को बड़ी राहत दी गई।
कैबिनेट के प्रमुख फैसले
– 31 मार्च 2019 के बाद होने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों को कोई सुविधा नहीं दी जाएगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्रियों का किराया माफ।
– महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 2668 पदों को स्थायी रूप से स्वीकृति दी गई। आठ कंप्यूटर प्रोग्रामर के वेतन में भी 5 फीसदी की वृद्धि की गई है।
– कैंप अधिसूचना के अंतर्गत वार्षिक लेखा को विधान मंडल पटल पर रखने की दी मंजूरी।
– उत्तराखंड राज्य नियमावली के समूह ग में किए गए संशोधन को मंजूरी दी।
– उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा प्रवक्ता संवर्ग सेवा नियमावली 2019 में संशोधन को मंजूरी।
– उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा एलटी के लिए नियमावली में किया गया संशोधन। 10 फीसदी पद भरे जाएंगे प्रमोशन से।
– एकल आवास के वन टाइम सेटेलमेंट का समय बढ़कर दिसंबर 2019 तक किया।
– हरिद्वार विकास प्राधिकरण, मसूरी विकास प्राधिकरण और पौड़ी विकास प्राधिकरण में हो रही दिक्कत की वजह से कैबिनेट ने निर्णय लिया कि जिस जिले में जो प्राधिकरण आएगा, वह उसी क्षेत्र में माना जाएगा।
– गंगोत्री विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को उत्तरकाशी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण में सम्मिलित करने पर सहमति।
– भागीरथी नदी विकास प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक अधिकारी आवास विभाग का अपर सचिव होगा, जबकि संयुक्त सचिव अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा।
– ग्रुप हाउसिंग में फ्लैट बनाने वाले बिल्डरों को दी राहत। पूरे प्लान की जगह कुछ फ्लैट बनाने पर मिलेगा निर्माण पूरा होने का सर्टिफिकेट। पर पहले पार्क, सीवरेज, सड़कों का करना होगा निर्माण।
– ग्राम कांसवाली कोठारी देहरादून में हो रहे 948 मीटर के भवन निर्माण को सड़क निर्माण में दी गई एक मीटर की छूट।