Home अपना उत्तराखंड केदारनाथ में अब मौसम का मिलेगा पल-पल का अपडेट।

केदारनाथ में अब मौसम का मिलेगा पल-पल का अपडेट।

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अब, बाबा केदार के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं सहित स्थानीय लोगों को केदारनाथ सहित जनपद के मौसम की पलपल सहित एक सप्ताह तक के पूर्वानुमान की सही जानकारी मिल सकेगी। जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग सहित आठ स्थानों पर स्वचालित मौसम केंद्र (एडब्लूएस) स्थापित किए गए हैं, जिसमें से दो स्टेशनों से बारिश, बर्फ और वायुदाब की जानकारी मिलने लगी है। केदारनाथ स्टेशन भी जल्द शुरू कर दिया जाएगा।

आपदा के बाद केदारनाथ के मौसम पर नजर रखने व सटीक पूर्वानुमान को लेकर प्रयास शुरू कर दिए गए थे। इसी के तहत उत्तराखंड आपदा पुनर्निर्माण परियोजना के अंतर्गत हैदराबाद की कंपनी एस्ट्रा माइक्रोवेब प्रोडक्ट्स लिमिटेड फर्म के सहयोग से कलक्ट्रेट रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ, जखोली, दुगलबिट्टा, चोपता, सोनप्रयाग और केदारनाथ में हाइड्रोमेट्रोलाजिकल उपकरण वाले स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।

कलक्ट्रेट परिसर व तहसील परिसर ऊखीमठ में स्थापित केंद्रों से बारिश, तापमान, नमी और वायुदाब के आंकड़े मिलने लगे हैं, लेकिन अन्य जगह लगे टॉवर को अभी तक हाइड्रोमेट्रोलाजिकल उपकरण नहीं लग पाए हैं। क्योंकि केदारनाथ व चोपता में अब भी तीन से पांच फीट बर्फ मौजूद है। इन सभी केंद्रों का सिविल कार्य लोनिवि, पीएमजीएसवाई व डीडीएमए गुप्तकाशी द्वारा किया गया है।

अधिकारियों के अनुसार आगामी 8 से 15 मई तक अन्य 6 केंद्रों का संचालन भी शुरू हो जाएगा। सभी केंद्रों में मौसम विभाग द्वारा प्रशिक्षित दो-दो कर्मचारियों को तैनात किया जाना है। खास बात यह है कि इन सभी स्वचालित मौसम केंद्रों से जहां पूरे सीजन में हुई कुल बारिश, बर्फबारी, तापमान का सही डाटा मिलेगा, वहीं 12 घंटे से लेकर एक सप्ताह तक के मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मिलेगी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी हरीश चंद्र शर्मा ने बताया कि इन केंद्रों की मदद से यात्रा सहित जनपद में आपदा प्रबंधन को दुरुस्त करने में भी मदद मिलेगी।

केदारनाथ के कपाट खुलने से पूर्व स्वचालित मौसम केंद्र को शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अन्य स्थानों पर भी जरूरी उपकरणों की मदद से 15 मई तक केंद्रों का संचालन शुरू हो जाएगा। अब, रुद्रप्रयाग से केदारनाथ तक के मौसम के पूर्वानुमान व वर्तमान की सही जानकारी मिलेगी।
– डीके वर्मा, वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ, उत्तराखंड पुनर्निर्माण परियोजना, देहरादून