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अटल आयुष्मान योजना में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा, अस्पताल के मालिक ने हड़पे लाखों रुपए

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अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में काशीपुर के एक सूचीबद्ध निजी अस्पताल ने बड़ी ‘सेंधमारी’ की है। अस्पताल का मालिक सरकारी अस्पताल में संविदा चिकित्सक है, जिसने फर्जी तरीके से 57 मरीजों को अपने अस्पताल में रेफर कर इलाज करना दर्शा दिया। एक ही परिवार के कई सदस्यों का इलाज करना बताकर कई पैकेजों के तहत लाखों रुपये हड़प लिए।

शुरुआती जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद अस्पताल का सूची से निलंबन कर उसकी लॉग-इन आईडी ब्लॉक कर दी गई है। इसके साथ ही योजना के सीईओ युगल किशोर पंत ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।

मामला योजना में सूचीबद्ध आस्था हॉस्पिटल टांडा उज्जैन शुगर मिल रोड काशीपुर से जुड़ा है। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अधीन क्रियान्वयन समिति एजेंसी (आईएसए) ने योजना के सीईओ से गत दो अप्रैल को शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार इस अस्पताल में एक ही तिथि में एक परिवार के तीन सदस्यों को भर्ती किया गया है।

फर्जीवाड़े के संदेह में जब इस अस्पताल के बारे में जानकारी पता की गई तो एक के बाद एक बड़े खुलासे हुए। पता चला कि अस्पताल गत वर्ष 18 दिसंबर 2018 सूचीबद्ध हुआ था। इसके मालिक डॉ. राजीव कुमार गुप्ता ने खुद को इस अस्पताल का एकमात्र चिकित्सक बताया था।

जबकि अब जांच में पता चला कि वह एलडी भट्ट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय काशीपुर में संविदा के पद पर पूर्णकालिक चिकित्सक है। सूचीबद्ध होने की तिथि से छह अप्रैल 2019 तक उसने खुद ही 17 मरीजों को अपने अस्पताल में रेफर किया।

इसके अलावा एक और सरकारी अस्पताल की फर्जी मुहर लगाकर उसने 17 मरीजों को विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया, जिनमें से सात उसने खुद के अस्पताल में भर्ती किए। प्राथमिक जांच में पाया गया कि उसने एक-एक परिवारों के कई सदस्यों को एक साथ भर्ती होना दिखाया। जिनका अस्पताल में इलाज किए बगैर ही विभिन्न पैकेजों के अंतर्गत लाखों रुपये हड़पे गए।

अस्पताल में नहीं थे मरीज, क्लेम कर दी रकम 
गत दो अप्रैल को शिकायत एक ही परिवार की तीन महिलाओं ऊषा, आरती व पूजा को रेफर किए जाने संबंधी थी। इन्हें 30 मार्च 2018 को एलडी भट्ट एलोपैथिक चिकित्सालय से आस्था हॉस्पिटल में रेफर किया गया था। शिकायत की जब जांच की गई तो पता चला कि इन तीनों मरीजों में से कोई भी वहां भर्ती नहीं था। जबकि इन्हें दिए गए इलाज की रकम को क्लेम कर दिया गया। 31 मार्च को ऊषा के लिए और एक अप्रैल को आरती व पूजा के लिए चार-चार दिन का फर्जी क्लेम मांगा गया।

नौ परिवारों के 21 मरीज 
सूचीबद्ध होने की तिथि से छह अप्रैल तक आस्था अस्पताल में कुल 57 मरीजों को रेफर किया गया। इनमें से 21 मरीज नौ परिवारों से संबंधित हैं। जांच में आया कि इस तरह एक ही परिवार के कई सदस्य एकसाथ भर्ती होना भी संदेह के घेरे में हैं, लिहाजा इसमें भी बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है।

दो पैकेज में 34 मरीजों का इलाज 
जांच में आया है कि आस्था अस्पताल में 34 मरीजों का दो ही पैकेज के अंतर्गत इलाज होना दर्शाया गया है। इनमें 10 मरीजों का एक्यूट गैस्ट्रोएंटेरिटिस विद मॉडरेट डीहाईड्रेशन और 24 मरीजों का एंटेरिक फीवर पैकेज के अंतर्गत इलाज किया गया। यही नहीं इनमें दो महिला मरीज कलावती व नईमा को बहुत कम समय में एक से अधिक बार योजना के अंतर्गत इलाज करना दर्शाया गया है।

पीएचसी की बनाई फर्जी मुहर 
जांच में पाया गया है कि डॉ. राजीव गुप्ता ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा (ऊधमसिंह नगर) की मुहर लगाकर भी मरीज रेफर किए हैं। जबकि इस स्वास्थ्य केंद्र में

ये बनाए गए हैं जांच अधिकारी 
डॉ अमलेश कुमार सिंह, सहायक निदेशक मेडिकल एवं क्वालिटी, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना, राज्य स्वास्थ्य अभिकरण और डॉ मदन मोहन, मेडिकल ऑफिसर, क्रियान्वयन सहायता एजेंसी।