उत्तराखंड सरकार पहाड़ों में शराब फैक्ट्रियां खोलने के लिए जमकर सब्सिडी दे रही है। जबकि यह आबकारी एक्ट के विपरीत है। इसके विपरीत लघु एवं मध्यम उद्योगों को दी जा रही विभिन्न तरह की सब्सिडी डेढ़ साल साल से भी अधिक समय से बंद कर दी गई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार किस चीज को बढ़ावा देना चाहती है।
आबकारी अधिनियम के विपरीत है यह कदम
यही नहीं पहाड़ों में शराब को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 4 शराब फैक्ट्रियों को 5 करोड़ रुपए निवेश करने पर ₹50करोड़ तक सब्सिडी देने का फैसला किया है। जबकि यह आबकारी अधिनियम 2015 के नियमों का सरासर उल्लंघन है।
यही नहीं सरकार ने वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक इस पॉलिसी में तमाम संशोधन किए वह सब भी आबकारी अधिनियम के खिलाफ हैं।
उत्तराखंड सरकार इस सब्सिडी के अलावा शराब बनाने वाली कंपनियों को कई अन्य तरह के लाभ भी दे रही हैं उदाहरण के तौर पर 1 पेटी शराब बनाने की कीमत ₹500 तय की गई है लेकिन इस शराब को दो से ढाई हजार रुपए में बेचा जा रहा है।
सरकार बोलती कुछ है और करती कुछ और है।
शराब के मामले में सरकार की दोहरी पॉलिसी की पोल तो तब ही खुल गई थी, जब राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की तोड़ में सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों को ही राज्य मार्ग अथवा जिला मार्ग घोषित कर दिया था।
दिखाने के लिए सरकार कहती है कि सरकार शराब के खिलाफ है और चरणबद्ध ढंग से इसे बंद करेगी लेकिन हकीकत यह है कि मद्य निषेध विभाग को ही समाप्त कर दिया गया है, तथा शराब फैक्ट्रियों को जमकर सब्सिडी बांटी जा रही है।
एक हकीकत यह भी है कि दून में स्थित शराब फैक्ट्री तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को भी पूरा नहीं करती है लेकिन सरकार का इस फैक्ट्री को पूरा पूरा संरक्षण है।
जनिहत याचिका पर जबाब तलब
सरकार के इस दोहरे रवैए के खिलाफ देहरादून के मालदेवता निवासी नंदकिशोर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इस पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने सरकार का जवाब तलब किया है और 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
सीएम बनते ही ढाई साल पहले क्या कहा था, जरा याद करो
पर्वतजन के पाठक अभी इस बात को नहीं भूले होंगे कि 2 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट किया था कि हमारे राज्य की आर्थिक हालात खराब है लेकिन शराब से राजस्व जुटाने के लिए शराब नहीं बेचेंगे पाठकों को दोबारा से याद दिलाने के लिए मुख्यमंत्री के उपरोक्त ट्वीट का स्क्रीनशॉट दोबारा से दिया जा रहा है।
कांग्रेस का किया विरोध और खुद हवेलिया की गोद मे
भाजपा सरकार ने हरीश रावत द्वारा डेनिश ब्रांड चालू करने को लेकर काफी हो-हल्ला मचाया था लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा सरकार में उसी फैक्ट्री मालिक रामेश्वर हवेलिया को तीन-तीन शराब फैक्ट्रियां आवंटित की गई हैं।
प्रदेश में शराब को बढ़ावा देने के लिए अपने ही आबकारी अधिनियम के विपरीत काम करने के कारण राज्य सरकार पूरी तरह बेनकाब होती जा रही है।
….. और लघुउद्योगों की सब्सिडी बंद
ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब सात फरवरी 2019 को उत्तराखंड इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े उद्योगपतियों ने सरकार से मुलाकात करके कहा था कि लघु औद्योगिक इकाइयों को दी जा रही सब्सिडी एक साल से बंद है। यह सब्सिडी ट्रांसपोर्ट बिजली और ब्याज आदि पर पात्र फैक्ट्रियों को दी जाती थी। इसके बंद होने के कारण उद्योग धंधों पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकार ने वह रुकी हुई सब्सिडी तो जारी नहीं की लेकिन पहाड़ की 4 शराब फैक्ट्रियों को धड़ल्ले से 4 करोड रुपए की सब्सिडी दी जा रही है।
अब वक्त आ गया है कि सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि सरकार आखिर किस तरह की फैक्ट्री चाहती है ! यदि सरकार जनता से छुपा कर इस तरह की डबल स्टैंडर्ड पॉलिसी चलाएगी तो देर सवेर न्यायालय आदि के माध्यम से इसका खुलासा होगा और फिर सरकार की इसी तरह से छीछालेदर होती रहेगी।