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उत्तराखण्ड़ कांग्रेसी नेताओं में घमासान।

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उत्तराखण्ड़ में कांग्रेस नेताओं की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आने लगी है। प्रदेश कांग्रेस में दिग्गजों के बीच विवाद की स्थिति तो हमेशा बनी रहती है पर अब बड़े घमासान के संकेत मिल रहे हैं।पिछले दिनों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पिछली कार्यकारिणी को भंग करने के साथ ही इस घमासान के आसार नजर आने लगे थे, लेकिन पिछले दिनों हरीश रावत की सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट और फिर उनके समर्थन में हरीश रावत गुट के विधायकों का खुलकर सामने आने से बात काफी आगे बढ़ चुकी है। कहा जा रहा है कि हरीश खेमे के विधायक नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को पद से हटाने की रणनीति में जुट गये हैं।प्रदेश कांग्रेस में बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी कोई नई बात नहीं है।लेकिन अब दोनों ही खेमे पार्टी लाइन से बाहर निकलकर अब एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करने लगे हैं,जिसके घातक परिणाम आगे देखने को मिल सकते हैं।मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई है।एक गुट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का है तो दूसरा गुट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का है। कांग्रेस की कमान राहुल गांधी से सोनिया गांधी के पास आने के बाद कहा जाने लगा कि प्रीतम का प्रदेश अध्यक्ष व इंदिरा का नेता प्रतिपक्ष के पद से हटना तय है,पर ऐसा हुआ नहीं।ऐसी सूचनाओं के बीच ये दोनों नेता दिल्ली दौड़ करने लगे। इसका फयादा भी उन्हें मिला।सोनिया ने न सिर्फ प्रीतम सिंह को अभयदान दे दिया बल्कि उन्हें नई प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन की मंजूरी भी दे दी।इसके बाद 17 दिसम्बर को देहरादून पहुंचते ही प्रीतम ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी भंग कर दी।अब जबकि नई कार्यारिणी की घोषणा होनी है तो टीम प्रदेश में अपने खेमों को शामिल करने के लिये हरीश रावत और किशोर उपाध्याय ‘दबाव’ का दांव चल रहे हैं। उनका दबाव काम आता भी नजर आ रहा है क्योंकि प्रीतम चाहकर भी नई टीम घोषित करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।इस लड़ाई में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा जरूर हरीश समर्थकों के निशाने पर आ गई हैं।मौजूदा समय में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं जिनमें से 8 हरीश खेमे के बताए जाते हैं।इन विधायकों में सहमति बन रही है कि इंदिरा के खिलाफ हाईकमान के सामने मोर्चा खोला जाए। वहीं रानीखेत विधायक व सदन में उपनेता करण माहरा का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान ने इंदिरा हृदयेश को नेता प्रतिपक्ष का अहम पद सौंपा है।उनकी जिम्मेदारी कांग्रेस के सभी विधायकों व नेताओं को साथ लेकर चलने की है, लेकिन वह बेवजह विवादों को हवा दे रही हैं। प्रदेश में कांग्रेस की कमान प्रीतम, इंदिरा हृयदेश के पास रहेगी या नहीं ये तो कांग्रेस हाईकमान तय करेगा, लेकिन बीते दिनों हरीश धामी, गोविन्द सिंह कुंजवाल के बयानों ने पार्टी की अंदरूनी कलह को खुलकर सामने ला दिया है।