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उत्तराखण्ड़ कांग्रेस में ऑल इज नॉट वेल।

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उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, एक और कांग्रेस जहां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तो दूसरी ओर पार्टी के ही विधायक अपने ही पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं कांग्रेस विधायक हरीश धामी, उपनेता प्रतिपक्ष करण मेहरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश संगठन पर हरीश रावत की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की है।मंगलवार को विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान इन विधायकों की नाराजगी मीडिया के सवालों के जवाब में सामने आ ही गई।
धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि हरीश रावत को अलग-थलग करने की साजिश की जा रही है, मैं हाईकमान से भी बात करूंगा। यह कहने में मुझे गुरेज नहीं है कि यही हाल रहा तो कांग्रेस 2022 में एक विधायक पर सिमट जाएगी। तीन साल से कांग्रेस को डुबाने की कोशिश हो रही है। वहीं रानीखेत विधायक करण महरा ने कहा मैं कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को जानता हूं, वे बहुत नरम स्वभाव के हैं। उनकी ओर से हरीश रावत की उपेक्षा नहीं हो सकती। लेकिन कांग्रेस में जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनकी पहचान होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश कई मौकों पर हरीश रावत के खिलाफ बयान देती रही हैं।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को समझना चाहिए कि हरीश रावत प्रदेश में कांग्रेस के लिए जरूरी हैं। मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहता, लेकिन नेताओं से कहना चाहता हूं कि हरीश रावत की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।
हालांकि विधायकों के इन बयानों के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृयदेश ने पार्टी में सबकुछ ठीक होने की बात कही है, प्रीतम सिंह ने कहा कि हरीश रावत हमारे नेता हैं, उनकी उपेक्षा का सवाल ही नहीं उठता।सिर्फ रैली में फोटो न होने को उपेक्षा नहीं कहते। कई जगह मेरा फोटो नहीं होता तो क्या मैं उपेक्षित हो जाता हूं? मेरे पूर्व के एक बयान के अर्थ का अनर्थ वही नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृयदेश का कहना है कि पार्टी में सब कुछ ठीक है और किसी भी प्रकार से हरीश रावत की अपेक्षा नहीं की जा रही है।
इंदिरा हृयदेश भले ही सब कुछ ठीक होने की बात कह रही हों लेकिन पार्टी के विधायकों की सामने आ रही नाराजगी के बाद कांग्रेस हाईकमान को जल्द इस फूटते हुए ज्वालामुखी को शांत कराने की आवश्यकता है, वरना 2022 में सत्ता में बैठने का कांग्रेस का सपना ही रह जाएगा।