उत्तराखंड में मौसम करवट बदलने वाला है और मौसम की ये करवट ठंड में इजाफा करने वाली है। आज देहरादून में सुबह की शुरुआत भी बादलों से घिरे आसमान के साथ हुई। वहीं पहाड़ी इलाकों में भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा।
चमोली, नई टिहरी और आसपास के क्षेत्रों, यमुनोत्री घाटी और केदारनाथ सहित राज्य के ज्यादातर इलाकों में सुबह से बादल छाए हैं। जिससे ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। चमोली और रुद्रप्रयाग समेत केदारनाथ के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शाम तक बर्फबारी हो सकती है। वहीं नई टिहरी और यमुनोत्री घाटी में बारिश की संभावना जताई जा रही है।
अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गिर सकती है हल्की बर्फ
मौसम केंद्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 3500 मीटर और इससे अधिक ऊंचाई वाले ज्यादातर इलाकों में आज बर्फबारी हो सकती है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में बर्फ गिरने की ज्यादा संभावना है।
प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में भी बादल छाये रह सकते हैं। हालांकि अन्य स्थानों पर मौसम शुष्क बना रहेगा। किसी भी इलाके में बारिश के आसार नहीं हैं। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि राज्य के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बारिश भी हो सकती है।
हिमपात से पड़ रही कड़ाके की ठंड, लौटने लगे भेड़पालक
पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के इस बार नवंबर माह में ही कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। नवंबर के पहले सप्ताह में हुई बर्फबारी से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। नाभीढांग में तापमान माइनस 12 डिग्री तक पहुंच गया है। इसके चलते उच्च हिमालयी क्षेत्र में कड़ाके की ठंड के चलते भेड़ पालकों ने तराई की ओर माइग्रेशन शुरू कर दिया है।
आईटीबीपी मिर्थी से मिली जानकारी के अनुसार आठ नवंबर को उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारी हिमपात हुआ था। इससे नाभीढांग का तापमान सबसे ज्यादा -13 डिग्री पहुंचने के साथ ही कालापान का माइनस सात डिग्री, गुंजी का माइनस तीन डिग्री और कुटी का माइनस दो डिग्री तक पहुंच गया है। दिन के समय तापमान में हल्की वृद्धि हो रही हैं। शाम होते ही कड़ाके की ठंड शुरू हो जा रही है।
बर्फबारी समय पूर्व होने से इस बार एक माह पूर्व से ही कड़ाके की ठंड पड़ने लगी हैं। डीडीहाट, मुनस्यारी सहित हिमालयी क्षेत्रों में शाम और सुबह पाला पड़ने लगा है। बर्फबारी और ठंड के कारण हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों में रहने वाले भेड़ और बकरी पालकों ने भी वापसी शुरू कर दी है।
गत वर्षों तक भेड़ पालक दिसंबर से तराई की ओर जाते हैं, लेकिन इस बार नवंबर में ही तराई का रुख कर दिया है। भेड़ पालक जगत सिंह ने बताया कि पिछले वर्षों तक वह अपनी भेड़ और बकरियों को लेकर दिसंबर में तराई की ओर जाते थे, लेकिन इस बार समय से पूर्व हुई हिमपात और कड़ाके की ठंड के चलते पांच नवंबर को ही निचले क्षेत्रों की ओर आना पड़ा है।