सोमवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान शहर में कड़े सुरक्षा इंतजाम रहेंगे। इसके लिए पांच अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और 13 पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। एसएसपी ने ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों पर कड़ी नजर रखने और डायवर्जन व्यवस्था सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने रविवार को विधानसभा सत्र के दौरान ड्यूटी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सुरक्षा प्रबंधों पर मंथन किया। उन्हाेंने कहा कि अधिकारी और कर्मचारी अपने ड्यूटी प्वाइंट पर समय से पहले पहुंच जाएं। ड्यूटी के दौरान किसी भी प्रकार की अनावश्यक टिप्पणी करने की चूक ना करें।
ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। विधानसभा गेट पर सघन चेकिंग की जाए। सिर्फ अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया जाए। विधानसभा रोड पर कोई भी अनाधिकृत वाहन खड़ा नहीं होना चाहिए। इस दौरान पुलिस अधीक्षक नगर श्वेता चौबे, पुलिस अधीक्षक देहात प्रमेंद्र डोभाल, पुलिस अधीक्षक यातायात प्रकाश चंद्र आर्य मौजूद रहे।
विधानसभा सत्र के दौरान पांच अपर पुलिस अधीक्षक, 13 पुलिस उपाधीक्षक, नौ इंस्पेक्टर, चार थाना प्रभारी, 50 उप निरीक्षक, 200 कांस्टेबल और तीन कंपनी पीएसी के अलावा क्यूआरटी टीम और फायर की गाड़ी मौजूद रहेगी।
सरकार के पास नहीं विधायी कार्य
विधानसभा का दो दिनी सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। मगर दिलचस्प बात ये है कि रविवार को सरकार ने साफ कर दिया कि उसके पास फिलहाल कोई विधायी कार्य नहीं है। इन स्थितियों के बीच, कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सिर्फ एक दिन सोमवार के लिए ही काम निकलकर सामने आ पाया। सोमवार का पूरा दिन दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत के नाम होगा। सदन उन्हें श्रद्धांजलि देगा।
मंगलवार को सदन की कार्यवाही में क्या शामिल होगा, यह तय करने के लिए कार्य मंत्रणा समिति की बैठक सोमवार शाम को फिर से बुलाई गई है। सरकार के रुख पर विपक्ष हमलावर दिखाई दे रहा है। विपक्ष ने रविवार को सवाल उठाया-जब विधायी कार्य नहीं हैं, तो फिर सत्र क्यों बुला लिया गया। विपक्ष ने सरकार से कहा है कि वह विधायी कार्य तलाशे और सत्र को लंबा चलाने का आधार तैयार करे, ताकि जनता की समस्याओं को सदन में उठाया जा सके।
रविवार को विधानसभा में स्पीकर प्रेम चंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता में पहले सर्वदलीय बैठक और फिर कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई। कार्यमंत्रणा समिति में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने सत्र की अवधि पर सवाल उठाए। सरकार की ओर से कार्यवाहक संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने जवाब दिया कि फिलहाल कोई विधायी कार्य सरकार के पास नहीं है।
इसलिए सत्र को दो दिन का रखा गया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने आश्चर्य जताया और कहा कि सत्र विपक्ष ने नहीं, बल्कि सरकार ने बुलाया है। उसकी ही जिम्मेदारी है कि जनता के सवाल सदन में आएं। इन स्थितियों के बीच, सोमवार तक का कार्यक्रम तय करने पर सहमति बनी। कार्यवाहक संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक के अनुसार, सोमवार को शाम को एक बार फिर से कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होगी।
पंचायती राज संशोधन विधेयक पर कसरत संभव
इसमें ही आगे के सत्र के बारे में निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले, सर्वदलीय बैठक में स्पीकर ने पक्ष और विपक्ष से सदन की सुचारु कार्यवाही के लिए सहयोग करने की अपील की। सर्वदलीय बैठक में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी शामिल हुए।
सत्र चलाने के लिए विधायी कार्य की सरकार की तलाश पंचायती राज संशोधन विधेयक पर खत्म हो सकती है। वैसे, सरकार का साफ कहना है कि उसके पास फिलहाल कोई विधायी कार्य नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि बहुत दबाव बना, तो पंचायती राज संशोधन विधेयक पर कसरत की जा सकती है। सरकार पर ये भी दबाव है कि एक दिन कम से कम प्रश्नकाल जरूर चले। जनप्रतिनिधियों की तरफ से दो दिनी सत्र के लिए 700 से ज्यादा सवाल लगाए गए हैं।
विपक्ष को सारी स्थिति समझनी चाहिए। सरकार के पास सदन के लिए कोई बिजनेस नहीं है। कई विधेयकों का कार्य अभी पाइप लाइन में है। दिवंगत मंत्री प्रकाश पंत को सोमवार को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
-त्रिवेंद्र सिंह रावत, सीएम, उत्तराखंड।
जब बिजनेस नहीं है, तो सत्र क्यों बुलाया। सरकार कहीं से भी विधायी कार्य तलाशे। जनप्रतिनिधियों के सवाल लगे हैं। जनता की आवाज उठाई जानी है। हमारा आरोप है सरकार जनता के सवालों से बचना चाह रही है।
-डॉ.इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष।