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उत्तराखंड के 4000 शिक्षकों को राहत, TET के लिए बढ़ा 2 साल का वक्त

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जिन शिक्षकों ने बीटीसी व डीएलएड किया था, उन शिक्षकों को साल 2015 में कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति दे दी थी। जिसके बाद एनसीटीई ने 4 हजार शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखे जाने का निर्देश जारी किया था। जिसके बाद एनसीटीआई के विरोध में कुछ शिक्षक हाईकोर्ट चले गए थे।
हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में शिक्षकों की सुनवाई होने के बाद शिक्षकों के खिलाफ ही आदेश आया। जिसके बाद शिक्षकों ने डबल बेंच में अपील की। डबल बेंच में सुनवाई कर राज्य सरकार को सभी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति देने का निर्देश दिया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 2015 में प्राथमिक विद्यालयों में सभी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति दे दी थी।

बता दें, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अगस्त 2017 में एक पत्र जारी किया था। जिसमें मार्च 2015 से पहले सभी कार्यरत शिक्षकों को टीईटी करने के लिए मार्च 2019 तक का समय दिया था और 31 मार्च 2019 तक अपनी योग्यता पूरी न करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त होने की बात कही गई थी। इसी बीच अगस्त 2017 में हाईकोर्ट ने भी सभी शिक्षामित्रों को टीईटी करने की अनिवार्यता तय की थी।

हालांकि, 31 मार्च 2019 आने में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में 2015 से पहले के कार्यरत शिक्षक दिन की योग्यता पूरी नहीं है, उनकी सेवा समाप्त हो जाएगी। जिसको लेकर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात कर समय बढ़ाने का अनुरोध किया था। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।