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विदा हुआ भारतीय वायुसेना का विमान मिग-27, कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका।

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भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किए गए ‘घातक’ लड़ाकू विमान मिग-27 की आखिरी स्क्वाड्रन को शुक्रवार को औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया।जोधपुर एयरबेस पर हुए विदाई समारोह के बाद इस स्क्वाड्रन के सात विमान हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा बन गए।
साल 1999, कारगिल की ऊंची चोटियों पर घात लगाकर बैठे पाक सैनिकों पर भारतीय वायुसेना के मिग 27 ने आसमान से आग बरसाना शुरू कर दिया, वायुसेना के इस बहादुर ने पाक सेना के सप्लाई और पोस्ट पर इतनी सटीक और घातक बमबारी की जिससे उनके पांव उखड़ गए।
जोधपुर एयरबेस में इस विमान की दो स्क्वाड्रन थी, जिसमें से एक को इस साल की शुरुआत में डिकमीशन कर दिया गया था।आखिरी को आज औपचारिक रूप से विदा कर दिया गया। इन विमानों को 2016 में ही विदाई देने की तैयारी थी लेकिन वायुसेना में विमानों के घटते स्क्वाड्रन को देखते हुए इसमें तीन साल विलंब हुआ।
मिग-27 को महज 35 साल में ही इसके कलपुर्जों की कमी के कारण रिटायर करना पड़ रहा है। वायुसेना सूत्रों के मुताबिक, इस विमान का निर्माण करने वाली रूसी कंपनी अब कलपुर्जे पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं करा पा रही है।इसके चलते विमान में दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं। इसी साल दो मिग-27 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
पिछले 10 साल में हर साल दो मिग 27 विमान दुघर्टना का शिकार हुए हैं जिनमें वायुसेना के कई जाबाज पायलट शहीद भी हुए हैं। इस विमान में आर-29 नाम का इंजन लगा हुआ था जिसे रूस ने खुद विकसित किया था।

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