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तुंगनाथ मंदिर जहां भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है।

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उत्तराखण्ड में भगवान शिव के विभिन्न रुपों में पूजा की जाती है। आज हम आपको भगवान शिव के अदभुत महिमा स्वरुप तुंगनाथ मंदिर के बारे में बताते हैं, तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्तराखण्ड़ में पंचकेदार स्थित हैं, और उन्हीं मेंं से एक है तुंगनाथ, यहां भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है। कहा जाता है कि भगवान राम ने लंकापति रावण का वध करने के बाद तुंगनाथ से डेढ़ किलोमीटर दूर चंद्रशिला पर आकर तप किया था,भगवान राम ने अपने जीवन के कुछ क्षण यहां के शांत वातावरण में बिताये थे।
कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद भगवान शिव पाण्डवों से नाराज थे। युद्ध में विजयी होने पर पांडवों पर अपने भाइयों की हत्या का आरोप लगा था। ऐसे में पांडव भातृहत्या पाप से मुक्ति पाना चाहते थे,जिसके लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना आवश्यक था, लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे। पांडव उनके दर्शन के लिए काशी गए पर वहां भी वे नहीं मिले।तब वे उन्हें खोजते हुए हिमालय तक जा पहुंचे लेकिन फिर भी भगवान के दर्शन उन्हें नहीं हुए। भगवान शिव केदारनाथ जा बसे लेकिन पांडव अपने इरादे के पक्के थे, वे उनका पीछा करते हुए केदारनाथ पहुंच गए। भगवान शिव ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया था लेकिन पांडवों को संदेह हो गया था। ऐसे में भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए परंतु शंकर रूपी बैल भीम के पैर के नीचे से कैसे निकलते। भीम ने जैसे ही उस बैल को पकड़ना चाहा वह धीरे-धीरे जमीन के अंदर होने लगा। भीम ने बैल के एक हिस्से को पकड़ लिया। पांडवों की भक्ति और दृढ़-संकल्प देख भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर के बैल की पीठ की आकृति पिंड रूप में केदारनाथ में पूजी जाती है।शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेर में और जटा कल्पेर में प्रकट हुई इसलिए इन चारों स्थानों सहित केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिव के भव्य मंदिर बने हुए हैं।
हिमालय के दामन में स्थित तुंगनाथ मंदिर भक्तों के लिए आकषर्ण का केंद्र है।दुर्गम पहाड़ी रास्ते होने के बाद भी भगवान शिव की महिमा भक्तों को यहां खींच लाती है।आप भी यदि प्रकृति की खूबसूरती के साथ ही भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो तुंगनाथ चले आइए।