वॉशिंगटन : भारत ने ट्रंप के बयान को खारिज करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया। भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी।
कश्मीर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के झूठ पर भारत की आपत्ति के बाद अमेरिका झुक गया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय मुद्दा बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है, इसे दोनों देश मिल बैठकर सुलझाएंगे। कल कश्मीर को लेकर दिए गए डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर काफी हंगामा हो रहा है।
इस मुद्दे पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है, ‘’कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का दिवपक्षीय मुद्दा है। भारत और पाकिस्तान को इसपर बातचीत करनी है। अमेरिका इस बात का स्वागत करता है कि भारत और पाकिस्तान आपस में मिलकर यह मुद्दा सुलझाएं। हालांकि अमेरिका मदद करने को तैयार है। हम ये मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पल रहे आतंक के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें।”
डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को लेकर क्या दावा किया था?
कल ट्रंप ने दावा किया कि मोदी और उन्होंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, जहां मोदी ने उन्हें कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी। ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहाँ?’ (मोदी ने कहा) ‘‘कश्मीर’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्षों से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है।’’
डोनाल्ड ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी बैठक के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यदि मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं एक मध्यस्थ होना पसंद करूंगा। अगर मैं मदद करने के लिए कुछ भी कर सकता हूं, तो मुझे बताएं।’’
भारत ने ट्रंप के दावे को किया खारिज
भारत ने डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया। भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक जरूरी होगी। भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों के समाधान के लिए शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का अनुपालन आधार होगा।’’