
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई, बैठक में कई अहम फैसले लिए गए तो वहीं बैठक में कोरोना मुख्य मुद्दा रहा। कोविड-19 को लेकर उत्तराखंड कैबिनेट में गंभीरता से चर्चा की गई जोन का निर्धारण किस तरीके से किया जाता है, इस बात पर भी गंभीरता से चर्चा की गई, शाम तक उत्तराखंड के जोन में परिवर्तन हो सकता है, कई जिले रेड जोन में जा सकते हैं।
कैबिनेट में इन बिंदुओं पर लगी मुहर-
प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते नहीं बल्कि 1 दिन के वेतन को काटने का फैसला लिया गया है। मुख्य सचिव से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक एकदिवसीय वेतन कोविड-19 फंड में जमा कराएंगे। इस वित्तीय वर्ष में शेष महीनों से एक दिवसीय वेतन कोविड-19 फंड में लिया जाएगा। सभी विधायकों का 30 फ़ीसदी भत्ते सरकार की ओर से काटने का निर्णय लिया गया
सभी दायित्व धारियों का 5 दिन का वेतन प्रत्येक महीने मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना को कैबिनेट ने मंजूरी दी, बीज खरीदने पर सरकार अनुदान देगी। बागवानी मिशन योजना के तहत 50 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी। कूल हाउस के तहत कोल्ड स्टोर बनाने और कोल्ड वैन के लिए 50 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी।
किसी श्रमिक को क्वारंटीन होने पर 28 दिन के अवकाश के दौरान पूरा वेतन देने पर कैबिनेट ने मोहर लगाई, सभी राज्य कर्मचारियों को क्वॉरेंटाइन का पूरा ब्यौरा देना होगा, उसके बाद ही मिलेगा 28 दिन का भुगतान।
खनिज नीति 2008 के खंड क में किया गया संशोधन। जीएमवीएन के सभी खनिज पट्टो की नीलामी का समय पर एक साल से बढ़ा कर 5 साल किया गया। टेंडर प्रक्रिया में कोई भी आवेदक के नहीं आने पर जीएमबीएन स्वयं पट्टो का संचालन करेगा।
कोविड-19 में इस्तेमाल होने वाले राजकीय मेडिकल कॉलेज के निदेशक को 1करोड़ रुपए खर्च करने का दिया वितीय अधिकार।
8- श्रम सुधार अधिनियम 1926 में किया आंशिक संशोधन। किसी भी उद्योग में यूनियन बनाने के लिए तीस फीसदी कर्मचारियों को मिलेगी अनुमति। एक ही यूनियन होगी मान्य।
रजिस्टरी की नकल लेने के लिए डिजिटलाइजेशन का होगा इस्तेमाल। 2 रुपये प्रति पृष्ठ और अधिकतम 100 रु।
स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियों के लिए 3 महीने का समय पहले निर्धारित किया गया था, जिसको बढ़ाकर 1 साल किया गया।
11- मेगा इंडस्ट्रियल नीति 2015 में किया आंशिक संशोधन। 31 मार्च 2020 से 2020 जून तक बढ़ाया गया।
पंचायत राज अधिनियम में किया आंशिक संशोधन अध्यादेश के जरिए सरकार ने लिया फैसला। जहां ग्राम प्रधान निर्वाचित नहीं हो पाए वहां 6 महीने के लिए प्रतिनिधि को नामित किया जाएगा।