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कारगिल विजय दिवस के अवसर पर CIMS&R देहरादून में कारगिल युद्ध के शहीद सैनिकों को दी गई श्रद्धांजलि….

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देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों को याद करते हुए आज पूरे देश में “कारगिल विजय दिवस” (Kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है। 26 जुलाई 1999 का वो दिन भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन भारत ने दुनिया के सबसे मुश्किल युद्धों में से एक कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस साल कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ है।

कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में शहीद हुए नायकों के सम्मान में मनाया जाता है, जो मातृभूमि की सेवा करते हुए शहीद हो गए। हर साल इस दिन, प्रधानमंत्री दिल्ली में इंडिया गेट पर ‘अनन्त लौ’, अमर जवान ज्योति पर सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देते हैं।

देहरादून के CIMS & UIHMT ग्रुप ऑफ कालेज में भी कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्दांजलि दी गई। कुआंवाला स्थित CIMS&R कैंपस मेंCIMS & UIHMT ग्रुप ऑफ कालेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी, बलूनी क्लासेज के संस्थापक डॉ. नवीन बलूनी, मैनेजिंग डायरेक्टर बिपिन बलूनी ने शौर्य दीवार के सम्मुख कारगिल युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान संस्थान के समस्त कर्मचारीगण व छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।

कारगिल युद्ध पर प्रकाश डालते हुए कॉलेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने कहा कि ये लड़ाई जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में साल 1999 में मई से जुलाई के बीच हुई थी। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। भारतीय सेना को इस घुसपैठ की जानकारी चरवाहों से मिली थी। चरवाहों ने पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को वहां देख लिया, जिसके बाद भारतीय सेना ने घुसपैठियों से अपनी जमीन को खाली कराने के लिए ‘ऑपरेश विजय’ चलाया। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में शहीद हुए भारत के सैनिकों को ‘कारगिल विजय दिवस’ में याद किया जाता है।