उत्तराखण्ड़ सरकार प्रदेश में 2005 के बाद से नियुक्त सभी शिक्षकों व कर्मचारियों को पेंशन के दायरे में लाना चाहती है। राज्य सरकार ने इस संबंध में केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। राज्य में 1 अक्टूबर 2005 के बाद नियुक्त सभी शिक्षक-कर्मचारी खुद को पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए आंदोलन भी जारी है।
हाल ही में पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन से जुड़े कर्मचारी नेताओं और अन्य संगठनों ने भी सरकार के सामने इस मामले को लेकर आवाज उठाई। इसके बाद राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर वर्ष 2005 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों को पेंशन योजना के दायरे में लाने की सिफारिश की है।
हालांकि बीते दिनों शिक्षक संगठनों की शिक्षा मंत्री के साथ हुई बैठक में 600 शिक्षकों को पुरानी पेंशन में राहत मिल चुकी है, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने हाल ही में इसके खिलाफ दायर एसएलपी को वापस लेने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। इन 600 शिक्षकों की भर्ती वर्ष 2003 की विज्ञप्ति के आधार पर वर्ष 2005 में हुई। इसी साल नई पेंशन योजना शुरु कर दी गई और अक्टूबर के बाद नियुक्त शिक्षक पुरानी पेंशन से वंचित हो गए। शिक्षक इस मामले में हाईकोर्ट चले गए थे। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने का आदेश दिया था, लेकिन सररार ने इस पर कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अधिकारियों को कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने के निर्देश दिए हैं।