Home देश अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला ; पढ़िए पूरी खबर…

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला ; पढ़िए पूरी खबर…

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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि तीन चार महीने के भीतर केंद्र सरकार ट्रस्ट की स्थापना के लिए योजना तैयार करे। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन को मंदिर के लिए सौंपने का फैसला दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या में 5 एकड़ जमीन का एक उपयुक्त वैकल्पिक भूखंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने बहुप्रतीक्षित ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे बनी संरचना इस्लामिक नहीं थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि मस्जिद के निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़,न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्यों को सिर्फ एक राय बताना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रति बहुत ही अन्याय होगा।

न्यायालय ने कहा कि हिन्दू विवादित भूमि को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और मुस्लिम भी इस स्थान के बारे में यही कहते हैं। हिन्दुओं की यह आस्था अविवादित है कि भगवान राम का जन्म स्थल ध्वस्त संरचना है। पीठ ने कहा कि सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडार गृह की उपस्थिति इस स्थान के धार्मिक होने के तथ्यों की गवाही देती है। शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी कहा कि मालिकाना हक का निर्णय सिर्फ आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं किया जा सकता और यह विवाद के बारे में फैसला लेने के संकेतक हैं।

राम जन्मभूमि-बबारी मस्जिद विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन को रामलला का बताया है। उन्होंने मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए। जिसके लिए केंद्र को तीन महीने के भीतर नियम बनाने होंगे। पढ़े अब तक के फैसले में अदालत ने क्या-क्या कहा।
  • विवादित भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए, इसके लिए तीन महीने के भीतर नियम बनाए जाएं। यह जमीन अभी केंद्र सरकार के पास रहेगी। जिसे बाद में ट्रस्ट को दिया जाएगा।
  • रामलला को मिली विवादित जमीन, मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाएगी।
  • यह स्पष्ट है कि मुसलमानों ने आंतरिक आंगन के अंदर प्रार्थना की और हिंदुओं ने बाहरी आंगन में प्रार्थना की।
  • इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मुसलमानों ने मस्जिद को छोड़ दिया था। हिंदू हमेशा से मानते थे कि भगवान राम का जन्मस्थान मस्जिद के आंतरिक प्रांगण में है।
  • रसोई की पूजा किया करते थे। रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का कब्जा था।
  • एएसआई इस बात को साबित नहीं कर पाया है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। मुसलमानों ने 1949 तक यहां नमाज पढ़ी।
  • इस बात के सबूत हैं कि हिंदू अंग्रेजों के आने से पहले से ही राम चबूतरे और सीता रसोई की पूजा किया करते थे। रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का कब्जा था
  • 1856-57 में नमाज पढ़ने के सबूत नहीं। 1856 से पहले भी हिंदू मंदिर के अंदर पूजा करते थे।
  • बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था। एएसआई के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
  • हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम का जन्म मुख्य गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था
  • वैयक्तिक विश्वास का विषय है।
  • हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसे लेकर कोई विवाद नहीं है।
  • मामले का फैसला केवल एएसआई के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता है। जमीन पर किसका मालिकाना हक है इसका फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज किया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड के दावे को किया खारिज।