दून विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट तथा देहरादून मैनेजमेंट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित स्प्रिैच्युलिटी एण्ड वैलबीईंग (आध्यात्मिकता एवं कल्याण) विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति एवं एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रो. हेमचन्द्रा ने कहा कि आज कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के दौर में मानव समाज के सम्मुख एक बड़ी चुनौती खड़ी है। पूरा विश्व आज इस महामारी से प्रभावित है और इसके प्रभाव को कम करने के लिये हमें आध्यात्मिकता से प्रेरित प्रबन्धन एवं नेतृत्व का सहारा लेना होगा जिसके तहत पूरे विश्व के प्राणियों को एक परिवार के रूप में समझकर संसाधनों का आदान-प्रदान कोविड-19 की चुनौतियों को कम करने व मानवता की रक्षा के लिये महत्वपूर्ण होगा, और यह तभी संभव है जब हम विश्व को एक परिवार समझें और भारत इसी भाव से आज कार्य कर रहा है।
प्रो. हेमचन्द्रा ने कहा कि भारत में कोरोना की पहली लहर को बहुत ही प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया। वर्तमान समय में दूसरी लहर के कारण लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है परन्तु हमें इससे विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक मरीज को अस्पताल, आई0सी0यू0, आक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। हल्के लक्षणों वाले कई मरीज घर पर ही ठीक हुए हैं। बहुत की कम मरीजों को अस्पताल, आई0सी0यू0, आक्सीजन की आवश्यकता होती है। हमारे पास आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। उत्तराखण्ड में राज्य सरकार के मार्गदर्शन में सरकारी एवं निजी अस्पतालों ने बहुत ही प्रभावी ढंग से पहली लहर को नियंत्रित करने में सफता प्राप्त की है और देश की जनता ने भी हमारे सरकारी अस्पतालों को इस दौर में सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाला संस्थान माना है। निजी अस्पतालों की भूमिका भी सराहनीय रही है। पुलिस प्रशासन भी फ्रन्टलाइन वर्कर रूप में जान की परवाह न कर मानवता की सेवा के लिये आगे आये हैं। हमारा भी कर्तव्य है कि हम कोरोना की द्वितीय लहर के प्रभाव को कम करने कोविड के अनुरूप व्यवहार करें और इस ल़ड़ाई को विजयी करें।
संगोष्ठीं की अध्यक्षता करते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि भौतिक जगत के बाहर की दुनिया को समझे बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कर्म को प्रधान मानकर हम आध्यात्मिता व जन कल्याण के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि कर्मयोद्वा ही आध्यात्मिक यौद्वा हैं। प्रो. डंगवाल ने भारत के सांस्कृतिक विरासत की विस्तार से चर्चा की और उदाहरण सहित बताया कि किस प्रकार भारत की संस्कृति विश्व कल्याण एवं विश्व शान्ति के लिये समर्पित है और इसी मार्ग पर चलकर हम मानवता की रक्षा कर सकेंगे क्योंकि हमारे शास्त्रों में न सिर्फ पृथ्वी शान्ति की बात होती है बल्कि हम अंतरिक्ष में भी शान्ति की कामना करने वाले राष्ट्र हैं। इसलिये आध्यात्मिकता से परिपूर्ण नेतृत्व आज न सिर्फ उद्योग जगत के लिये आवश्यक है बल्कि यह प्रत्येक संस्थान के लिये अपरिहार्य है। इस अवसर पर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. एच. सी. पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विभाग लगातार इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करता रहता है जिससे विद्यार्थियों को प्रबन्धन के नये-नये आयामों के बारे मेें जानकारी मिल सके।
देहरादून मैनेजमेंट एसोसिएशन के सचिव जी. एस. वार्ने ने एसोसिएशन के बारे में बताते हुए कहा कि प्रबन्धन एवं काॅरपोरेट नेतृत्व के विषय पर विमर्श करना संस्था का उद्देश्य है। उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम का संचालन डा. रीना सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 सुधांशु जोशी ने किया। इस अवसर पर तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डाॅ0 रीना सिंह एवं डाॅ अनुपमा आर्य ने की। तकनीकी सत्र में अजन्ता गिरी, आरती नेगी, डाॅ0 सुधांशु जोशी आदि शोधार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा शोधपत्र प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर मुकेश अग्रवाल, ललित जोशी, चेन्नई के प्रो0 एस0 रामनाथन, डाॅ0 के0सी0 बरमोला, टी पी सिंह, विपुल सहित देहरादून मैनेजमेंट एसोसिएशन एवं दून विश्वविद्यालय के शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे।