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उत्तराखंड; पौड़ी के फलस्वाड़ी में अब बनेगा माता सीता का भव्य मंदिर, सीता माँ ले यहाँ ली थी भू समाधि..

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पौड़ी में आयोजित शरदोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कहा कि प्रस्तावित सीता माता सर्किट, पौड़ी के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है।यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सर्किट के विकास के बाद भगवान राम और माता सीता में आस्था रखने वाला दुनिया का हर व्यक्ति फलस्वाड़ी गांव में जरूर आना चाहेगा जहां माता सीता ने भू-समाधि ली थी।

शिलाएं, मिट्टी दान करने की अपील
मुख्यमंत्री ने रामलीला मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए मंदिर के लिए शिलाएं, मिट्टी और रुपए दान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि, जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए ईंटें लाई गईं, उसी तरह से फलस्वाड़ी में सीता मंदिर के लिए हर गांव से एक शिला (डेढ़ फुट चौड़ा और 6 इंच लंबा पत्थर), एक मुट्ठी मिट्टी और 11 रुपए दिए दान किए जाएं।

देवप्रयाग से फलस्वाड़ी की करेंगे पदयात्रा
मुख्यमंत्री ने कहा कि, वह जल्दी की वह स्वयं देवप्रयाग से लेकर फलस्वाड़ी तक की पदयात्रा करेंगे। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इसकी इच्छा जताई है।

चारधाम की तरह फलस्वाड़ी आएंगे श्रद्धालु
मुख्यमंत्री ने कहा कि, जिस तरह से देश और दुनिया के हिन्दू बदरीनाथ, केदारनाथ धामों और गंगा में डुबकी लगाने आते हैं, वैसे ही इस पवित्र स्थल तक भी पहुंचेंगे। सीएम ने कहा कि, पूरी दुनिया के हिन्दू इस स्थान पर आना चाहते हैं। फलस्वाड़ी में बनने वाले भव्य मंदिर का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। इसके लिए उन्होंने पौड़ी के डीएम के काम की सराहना भी की।

समाधि स्थल को लेकर प्रचलित हैं कई कथाएं-

हालांकि मां सीता द्वारा धरती में समा जाने की कथाओं में विन्न स्थानों का वर्णन किया जाता है जिससे किसी भी स्थान को प्रमाणिकता कहना काफी मुश्किल है कि मां सीता इसी स्थान पर धरती में समा गई थीं।कुछ विद्वानों का मत है कि उत्तर प्रदेश में संत कबीर नगर जिले में गंगा किनारे एक स्थान में समाधि ली थी। कहा जाता है कि मां सीता ने तब देखा कि लव और कुश भगवान राम का मुकुट लेकर आए गए तो उनसे रहा नहीं गया और वह दुखी होकर धरती में समा गईं।

वहीं सबसे लंबे टीवी धारावाहिक रामानंद सागर की रामायण की बात करें तो उसमें दिखाया गया है एक बार लव और कुश के बड़े होने पर एक बार भगवान राम ने मां सीता को अपने दरबार में बुलाया और पुन: अपने शुद्धता की शपथ लेने की बात कही। इस मां सीता बेहद दुखी हुईं और धरती मां से अपनी गोद में बैठाने की जगह मांगी। तभी भरे दरबार में धरती फट गई और मां सीता उनकी गोद में समा गईं। इस कहानी को सच माना जाए तो मां सीता अयोध्या में ही समाधि ली थी।