शिक्षा नीति को लेकर देश मे 34 साल बाद एक बड़ा बदलाव हुआ है, अब देशभर में 10वीं यानी हाईस्कूल के बोर्ड एग्जाम नहीं होंगे। साथ ही एमफिल भी अब बन्द किया जाएगा। बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे। जी हां मोदी कैबिनेट ने आज नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज यह फैसला लिया। शिक्षा नीति में यह बदलाव 34 साल बाद हुआ है। केंद्रीय मंत्री (मानव संसाधन मंत्री)डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर ये जानकारी साझा की है। कैबिनेट मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि ये नीति एक महत्वपूर्ण रास्ता प्रशस्त करेगी, ये नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी, इस नीति पर देश के कोने कोने से राय ली गई है। और इसमें सभी वर्गों के लोगों की राय को शामिल किया गया है, देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने बडे़ स्तर पर सबकी राय ली गई है।
I am thankful to Hon'ble Prime Minister Shri @narendramodi Ji for giving me this opportunity to introduce #NewEducationPolicy after 34 years.
I assure you that my ministry will work hard to fulfil your dreams and aspirations of #AatmaNirbharBharat.#NEP2020 https://t.co/S5YF8FfZT5
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank ( Modi Ka Parivar) (@DrRPNishank) July 29, 2020
आइए जानते हैं नई शिक्षा नीति से जुड़ी दस बड़ी बातें-
यदि संभव हो तो कम से कम 5वीं और 8वीं और उससे आगे की भाषा में पढ़ाई करनी होगी। यानी हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय लैंग्वेज कोर्स के रूप में होंगे, लेकिन बाकी कोर्स स्थानीय भाषा या मातृभाषा में होंगे।
अब तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10 + 2 के अनुसार चलता है, लेकिन अब यह 5 + 3 + 3 + 4 के अनुसार होगा। यानी प्राइमरी से दूसरी क्लास तक एक हिस्सा, फिर दूसरा हिस्सा तीसरी से पांचवीं तक, तीसरा हिस्सा छठी से आठवीं और आखिरी हिस्सा नौवीं से 12वीं तक। बारहवीं में बोर्ड परीक्षा होगी, लेकिन इसमें कुछ बदलाव होंगे।अब हाईस्कूल के बोर्ड एग्जाम आवश्यक नहीं होंगे, बच्चे अपनी इच्छा के आधार पर विषय का चयन कर सकेंगे। अगर कोई छात्र विज्ञान के साथ-साथ संगीत की पढ़ाई करना चाहता है तो उसके पास यह विकल्प होगा। दसवीं की परीक्षा और उसके स्वरूप को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। छठी कक्षा से वोकेशनल कोर्स शुरू होंगे। सबसे बड़ी और अहम बात बोर्ड एग्जाम को नॉलेज बेस्ड बनाया जाएगा और इसमें रटने से याद करने की आदतों को कम किया जाएगाा ,इसका बड़ा फायदा ये होगा कि विद्यार्थियों को बोर्ड एग्जाम हव्वा नहीं लगेगा । जब बच्चा स्कूल से बाहर आएगा तो यह तय हो जाएगा कि वह कुछ हुनर लेकर बाहर आए।
बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपना रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा। अब तक केवल शिक्षक ही रिपोर्ट कार्ड लिखता है। लेकिन नई शिक्षा नीति के तीन हिस्से होंगे। पहला बच्चा अपने बारे में खुद का मूल्यांकन करेगा, दूसरा अपने सहपाठियों से और तीसरा शिक्षक के माध्यम से होगा।
साथ ही अब ग्रेजुएट कोर्स में एक साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर डिप्लोमा, 3 साल पर डिग्री मिलेगी। अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी। जिन छात्रों को उच्च शिक्षा नहीं देनी है, उनके लिए 3 साल की डिग्री।
उसकी एजुकेशन स्टूडेंट्स को 4 साल की डिग्री करनी होगी। उनके लिए एक साल में एमए करने की व्यवस्था होगी। अब स्टूडेंट्स को एमफिल नहीं करना पड़ेगा। एमए के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।
नई पॉलिसी से स्कूल और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया जाता है। राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की जाएगी।