याद कीजिए पहाड़ में बिताए हुए वो दिन, जो आपकी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन हुआ करते थे। हिसालू-किलमोड़े, काफल तोड़ते-बीनते दिन कब गुजर जाता था, पता ही नहीं चलता था। आज पहाड़ की जो दुर्दशा है, वो किसी से छिपी नहीं है। घर-पुंगड़े उजाड़ हो गए हैं, उरख्यली-गंज्याली अब भी अपनों के आने की बाट जोह रही, जंदेरू टूटे घर के कोने में पड़ा उन हाथों का इंतजार कर रहा है, जो उसे प्यार से…अपनेपन से चलाया करते थे। हिमालय की बर्फ पिघलने लगी है, लेकिन पहाड़ियों से एक बार पहाड़ जो छूटा तो फिर छूट ही गया। पलायन की पीड़ा पहाड़ और पहाड़ियों से बेहतर भला कौन समझ सकता है। शुक्र है कि अब पहाड़ को जनप्रतिनिधियों और अफसरों के रूप में ऐसे लाल मिले हैं, जो कि पहाड़ से पलायन को खत्म करने के लिए साथ खड़े हैं। सांसद अनिल बलूनी ने पहाड़ से पलायन खत्म करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जिससे एनएसए अजीत डोभाल, बिपिन रावत और कोस्ट गार्ड के डीजी राजेंद्र सिंह जुड़ गए हैं।
इस अभियान को नाम दिया गया है ‘अपना वोट-अपने गांव’.. इस अभियान के तहत दूसरे क्षेत्रों में बसे पहाड़ियों से अपना वोट अपने गांव में स्थानांतरित करने की अपील की जा रही है। इसी बहाने उन्हें अपने पैतृक गांवों से जुड़ने का मौका मिलेगा।
सांसद अनिल बलूनी अपना नाम पहले ही अपने गांव की मतदाता सूची में दर्ज करा चुके हैं। अब इस अभियान से एनएसए अजीत डोभाल, थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत और कोस्ट गार्ड के डीजी राजेंद्र सिंह भी जुड़ गए हैं।
हाल ही में जब सांसद अनिल बलूनी ने एनएसए अजीत डोभाल से इस संबंध में चर्चा की तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वो अपने पैतृक गांव से हमेशा जुड़े रहेंगे। उन्होंने अपना वोट अपने मूलगांव में स्थानांतरित करने का भी आश्वासन दिया।
सेना प्रमुख बिपिन रावत भी अपना वोट उत्तराखंड में स्थानांतरित करने की बात कह चुके हैं। उन्होंने इस पहल का स्वागत किया और अभियान के संदेश को सराहा। थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि पहाड़ों को स्वरोजगार के जरिए आबाद किया जाना चाहिए, ताकि हमारी महान परंपराएं जीवित रह सकें।
कोस्ट गार्ड के डीजी राजेंद्र सिंह तो पहाड़ के चकराता में अपना घर भी बनवा रहे हैं, ताकि वो अपनी जड़ों से जुड़े रह सकें। कुल मिलाकर ‘अपना वोट-अपने गांव’अब अभियान नहीं रहा, महाअभियान बन गया है।
अच्छी बात ये है कि ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को भी खाली होते पहाड़ की, अपने गांव की चिंता है। प्रवासी उत्तराखंडियों को भी इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। ठोस रणनीति होगी और जनप्रतिनिधि जागरूक होंगे, तो निश्चय ही इस अभियान को सफलता मिलेगी। पहल शुरू हो गई है, उम्मीद है इसके अच्छे नतीजे जल्द ही देखने को मिलेंगे।