
उत्तराखंड में प्रवासियों के लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। प्रवासियों के साथ-साथ कोरोना भी इस पहाड़ी प्रदेश के पहाड़ों तक भी पहुंच गया है, जो कि शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है। प्रदेश में अब तक 100 कोरोना पॉजिटिव सामने आ चुके हैं। प्रदेश में बढ़ी संख्या में घर लौट रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में लौट रहे प्रवासियों को पंचायत भवनों में क्वारंटाइन करने के निर्देश देने के साथ ही ग्राम प्रधानों व आशा वर्कर्स को इनकी निगरानी के निर्देश दिए हैं। लेकिन पंचायत भवनों में उचित सुविधाएं न होने व एक ही गांव में अधिक लोगों के लौटने के कारण इन्हें क्वारंटाइन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
परेशानियों के बावजूद पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सरकार के आदेशों का पालन करते हुए पंचायत भवनों व गांव में बंद पड़े मकानों में अन्य राज्यों से लौट रहे व्यक्तियों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था की जा रही है, साथ ही उनके खाने-पीने का भी प्रबन्ध किया जा रहा है। पंचायत स्तर पर हो रहे परेशानी की शिकायतें जब सरकार तक पहुंची तो सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बयान देते हुए कहा कि प्रवासियों को क्वारंटाइन करने की व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधानों को 10 हजार रूपये दिए जायेंगे, लेकिन धनराशि कब और किस माध्यम से दी जाएगी इस बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए। जिससे प्रधानों को अब तक शासन से कोई धनराशि नहीं मिली है।
शासकीय प्रवक्ता के इस बयान को प्रधान संगठनों में रोष व्याप्त है, प्रधान संगठनों ने कैबिनेट मंत्री से अपने इस बयान पर माफी मांगने की मांग की है। इस सिलसिले में में ग्राम प्रधान संगठन वि. ख. धौलधार टिहरी गढ़वाल ने बैठक कर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के बयान का विरोध जताया और निंदा प्रस्ताव पारित किया। प्रधान संगठन ने कहा कि इस महामारी से बचाव को सभी प्रधान तन, मन, धन से जनता की सेवा कर रहे हैं, लेकिन शासकीय प्रवक्ता झूठी बयानबाजी कर भ्रम फैला रहे हैं। जिससे ग्रामीण व अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी प्रधानों पर शक कर रहे हैं।
कोट गांव के ग्राम प्रधान विकास जोशी ने कहा कि कैबिनेट मंत्री के इस बयान से प्रधानों का मनोबल गिर रहा है, गांव में लडाई की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में अभी तक 60 से अधिक लोग अन्य राज्यों से लौटे हैं, जिनमें से कुछ लोगों को 3 पंचायत भवनों में क्वारंटीन किया गया है, जबकि कुछ लोगों को उनके घरों में ही क्वारंटीन किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने ग्राम प्रधानों को कोई धनराशि दी है तो शासनादेश भेजकर जिलाधिकारी, पंचायत अधिकारी को निर्देश जारी करने चाहिए थे।