समाज में कई बार छोटे बच्चे इस तरह की बहादुरी का काम कर जाते हैं कि वैसे काम बड़े और समझदार लोग भी करने में हिचकिचा जाते हैं। ऐसा ही एक बड़ा काम उत्तराखण्ड के रामनगर एक 12 वर्षीय बालक सनी ने कर दिखाया है। सनी ने कोसी नदी की लहरों को चीरते हुए एक 22 वर्षीय युवक को नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। उनकी इस बहादुरी की जहां चारों ओर चर्चा हो रही है, वहीं उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बालक को सम्मानित करने तथा उनका नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजने की सिफारिश की है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग सचिव द्वारा जिलाधिकारी नैनीताल को इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है जिससे कि बालक का नाम वीरता पुरस्कार के लिए दिया जा सके और बालक को सम्मानित किया जा सके।
बता दें कि रविवार सुबह करीब 11 बजे रामनगर के मोतीमहल निवासी रवि कश्यप (22 साल) ने मानसिक तनाव के चलते कोसी बाईपास पुल से 40 फीट नीचे कोसी नदी में छलांग लगा दी। घटना को देखकर कई लोगों की चीख निकल गई। लेकिन डूबने रहे युवक को बचाने के बजाए कई लोग घटना का वीडियो बनाने लगे। इसी बीच पुल के नीचे खड़े आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले 12 साल के सन्नी ने बहादुरी का परिचय देते हुए नदी में छलांग लगा दी। 15 मिनट के अथक प्रयास के बाद बहादुर सन्नी डूब रहे युवक को गहरे कुंड से बाहर निकाल लाया। इस कार्य में उसके पड़ोसी दीपक कश्यप ने भी साथ दिया।
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उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अब सनी का नाम वीरता पुरस्कार के लिए भेजने की सिफारिश की है जो कि प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों की शुरुआत भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा 1957 में बच्चों के बहादुरी और मेधावी सेवा के उत्कृष्ट कार्यों के लिए पहचानने और दूसरों के लिए उदाहरण बनने को ध्यान में रखकर की गई थी।
उत्तराखंड से पौड़ी जिले के बीरोंखाल ब्लॉक के देवकुंडई गांव की राखी को उसके अदम्य साहस के लिए राष्ट्रीय सम्मान मिल चुका है। 11 साल की बहादुर बच्ची राखी के हौसले के आगे गुलदार ने भी हार मान ली थी। 4 अक्तूबर 2019 के दिन राखी को गुलदार ने उस समय गंभीर रुप से जख्मी कर दिया था, जब वह अपने छोटे चार साल के भाई राघव की ढाल बनकर गुलदार से भिड़ गई थी। जनवरी 2020 को राखी राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुई थी।
प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक प्रमाण पत्र और निर्धारित नकद रकम का पुरस्कार मिलता है। चयनित बच्चों को तब वित्तीय सहायता दी जाती है जब तक कि वे स्नातक पूरा नहीं कर लेते हैं। इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए चयन करने वालों को छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता मिलती है