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संभलकर करें इन बसों में सफर, कब टूट जाए कमानी और जाम हो जाए स्‍टेयिरिंग

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उत्‍तराखंड परिवहन निगम की 378 बसें गत एक दियंबर को अपनी आयु सीमा की मियाद पूरी कर चुकी हैं फिर भी इन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा।

देहरादून:  उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में अगर आप सफर कर रहे हैं तो संभलकर रहें। कहीं ऐसा न हो कि चलती बस का स्टेयरिंग जाम हो जाए या फिर कमानी टूट जाए। ये आशंका भी है कि कहीं बस के ब्रेक फेल न हो जाएं। परिवहन निगम की 378 बसें गत एक दियंबर को अपनी आयु सीमा की मियाद पूरी कर चुकी हैं, फिर भी इन्हें सड़कों पर दौड़ाया जा रहा। रोडवेज ने नई बसों की खरीद का प्रस्ताव अब तक तक नहीं बनाया। ऐसे में पर्वतीय मार्गों पर सेवाएं बढ़ाना तो दूर, वर्तमान में संचालित सेवाएं देना भी मुश्किल हो जाएगा।

परिवहन निगम के नियमानुसार एक बस अधिकतम आठ साल अथवा आठ लाख किलोमीटर तक चल सकती है। इसके बाद बस की नीलामी का प्रावधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। परिवहन निगम के पास 1407 बसों का बेड़ा है। इनमें 1059 बसें निगम की अपनी हैं जबकि 224 अनुबंधित हैं। इसके अलावा 124 जेएनएनयूआरएम की हैं। बेड़े की करीब 900 बसें ऑनरोड रहती हैं, जबकि बाकी विभिन्न कारणों से वर्कशॉप में। परिवहन निगम की बीती एक दिसंबर की रिपोर्ट के मुताबिक ऑनरोड व ऑफरोड बसों में 378 कंडम हो चुकी हैं। नियमानुसार इन बसों की नीलामी हो जानी चाहिए थी मगर निगम इन्हें दौड़ाए जा रहा है।

इससे या तो बीच रास्ते में बसें खराब हो जाती हैं या हादसे का शिकार बन जाती हैं। ऐसे कई पिछले उदाहरण हैं जब बसों के स्टेयरिंग निकल गए या फिर ब्रेक फेल हो गए। पिथौरागढ़ में 20 जून 2016 को हुआ हादसा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। आयु सीमा पूरी कर चुकी बस हादसे का शिकार बनी और चालक समेत 14 यात्री काल के गाल में समा गए। बसों में ईंधन पंप खराब होने व कमानी टूटने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। निगम की रिपोर्ट में यह जिक्र है कि 1959 बसों में से दिसंबर तक 378 बसें आयु सीमा पूरी कर चुकी हैं व नई बसों की तत्काल जरूरत है, मगर अब तक 300 नई बसों की खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।

ब्रेक खराब होने के बावजूद दिल्ली रवाना कर दी बस

रविवार को मोहंड में हादसे का शिकार हुई बी-डिपो की हाईटेक बस में लगातार ब्रेक खराब होने की शिकायत थी। गत एक माह में दस बार चालकों ने बस के ब्रेक का प्रेशर लीक होने की शिकायत की। 19 फरवरी को दिल्ली से लौटने पर भी चालक ने कार्यशाला में बस के ब्रेक खराब होने की लिखित शिकायत दी। उसके बाद बस 23 फरवरी तक रूट पर नहीं भेजी गई और जुगाड़बाजी कर इसे रविवार को दिल्ली के लिए भेज दिया गया। कार्यशाला से बाहर निकलने पर बस के ब्रेक कम लग रहे थे। हादसे में मृत चालक गौरव ने यह सूचना साथी चालकों को आइएसबीटी पर दी थी। मोहंड में ढलान पर बस के ब्रेक का प्रेशर फिर लीक हो गया और हादसे में चालक गौरव की मौत हो गई। गनीमत रही कि इस दौरान चालक ने यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया।

सभी हाईटेक हो चुकी हैं कंडम

रोडवेज ने 2012 में 22 हाईटेक बसें ली थी। ये सभी दस लाख किमी से ऊपर चल चुकी हैं। सभी खटारा हालत में हैं, लेकिन रोडवेज इन्हें अब साधारण श्रेणी में दौड़ाए जा रहा है।

मैकेनिक की भारी कमी 

परिवहन निगम के पास तकनीकी स्टाफ की कमी है। उत्तर प्रदेश से पृथक होने के बाद आधे से ज्यादा नियमित कर्मी रिटायर हो चुके हैं। नई भर्ती हुई नहीं। कार्यशाला में एजेंसी कर्मियों से काम चलाया जा रहा है। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि कंडम बसों को किसी सूरत में मार्ग पर नहीं भेजना चाहिए। इस बसों को बीमा क्लेम तक नहीं मिलता। यही ये हादसे का शिकार हो जाएं तो जिम्मेदारी कौन लेगा।

एसी बसों का भी बुरा हाल

एसी बसों में सुहाने-आरामदायक सफर का दावा करने वाला परिवहन निगम भले ही यात्रियों से भारी-भरकम किराया वसूल रहा हो, लेकिन सफर में न तो आराम है न ही सुकून। हालत ये है कि 50 फीसद एसी बसों में एसी खराब पड़े हैं और सीटें टूटी हुई हैं। आधी बसों में सीटों के पुश-बैक काम नहीं करते तो कुछ से गद्दियां गायब हैं। बसों में सीट के ऊपर लगे ब्लोवर तक टूटे पड़े हैं और मोबाइल चार्जर के सॉकेट काम नहीं कर रहे। पानी की बोतल रखने के क्लैंप गायब हैं और पंखे भी चालू नहीं हैं। बसें अनुबंधित हैं, फिर भी निगम इनसे संबंधित कंपनी पर कार्रवाई नहीं करता।

बोले अधिकारी

दीपक जैन (महाप्रबंधक संचालन, उत्तराखंड परिवहन निगम) का कहना है कि मोहंड में हुए हादसे की तकनीकी जांच कराई जा रही है। ब्रेक की खराबी थी या फिर कोई दूसरा कारण, यह जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। निगम कार्यशाला से जांच के बाद ही बसें मार्ग पर भेजी जाती हैं।

पर्वतीय मार्गो पर 150 नई बसें चलाएगा परिवहन निगम

उत्तराखंड परिवहन निगम प्रदेश के पर्वतीय मार्गो पर जल्द ही 150 नई बसें चलाएगा। इनमें वे मार्ग भी शामिल होंगे, जिनमें अभी निगम की बसों का संचालन नहीं हो रहा है। इसके लिए परिवहन निगम ने बसों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन बसों को पुरानी बसों से बदलने के साथ ही नए मार्गो पर चलाया जाएगा। उत्तराखंड परिवहन निगम के पास अभी 1290 बसों का बस बेड़ा है।

इसमें साधारण, जेएनएनयूआरएम के तहत आई बसें, सेमी डीलक्स, डीलक्स, एसी व वॉल्वों बसें शामिल हैं। इन बसों में से तकरीबन 300 बसें अब अपने उम्र के मानकों को पूरा कर चुकी हैं। इन बसों को बस बेड़े से बाहर किया जाना है। इसके लिए परिवहन निगम 300 नई बसों को खरीदने की तैयारी कर रहा है। इन बसों में से 150 बसें छोटे व्हील बेस की हैं, जिन्हें विशेष तौर पर पर्वतीय मार्गो के लिए खरीदा जा रहा है।

परिवहन निगम इन बसों को ऐसे राष्ट्रीयकृत मार्गो पर संचालित करेगा, जहां अभी बसों की कमी चल रही है। दरअसल, पर्वतीय जिलों में जितने भी लंबी दूरी के मार्ग हैं, वे राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग हैं। इन मार्गों पर लंबी दूरी की बसें केवल परिवहन निगम ही संचालित कर सकता है। जो अन्य बसें इन मार्गो पर चलती हैं, वे ऐसे स्थानों तक जाती हैं जो इन राजमार्गो की श्रेणी में नहीं आते। इन मार्गो पर बसों को परमिट देने का काम राज्य परिवहन प्राधिकरण करता है।

प्राधिकरण ने कुछ समय पहले कुछ लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा दिलाने के लिए कुछ राज्य राजमार्गो को वर्गीकृत करते हुए इन पर परमिट देने पर विचार किया था जिसका निगम ने पुरजोर विरोध किया। हाल ही में संपन्न विधानसभा सत्र में विधायकों ने राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गो पर जीएमओयू, टीजीएमओयू, केएमओयू आदि को परमिट देने के विषय पर सवाल उठाए थे। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने स्पष्ट किया है कि परिवहन निगम जिन 300 नई बसों को खरीद रहा है उनमें से 150 पर्वतीय मार्गो के लिए ही खरीदी जा रही हैं और इन्हें ऐसे मार्गो पर संचालित किया जाएगा जहां अभी परिवहन निगम की बसों का संचालन नहीं हो रहा है।