
उत्तराखण्ड़ परिवहन निगम द्वारा विभिन्न रूटों के लिए 150 नई बसें खरीदी थी, जिनमें से 125 बसें सड़कों पर उतर भी चुकी थी, लेकिन रूट पर उतरते ही 3 बसों के गीयर लिवर टूट गए। जिसके बाद रोड़वेज प्रबंधन ने सभी बसों को डिपो में ही खड़ी कर इनकी जांच कराने का फैसला लिया। सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड़ ट्रासपोर्ट पूना की टीम ने इन बसों की जांच कर रिपोर्ट रोड़वेज प्रबंधन को सौंप दी है। रिपोर्ट में गीयर लीवर के साथ ही कई अन्य खामियां भी पाई गई हैं।जिसके बाद रोड़वेज प्रबंधन ने इस बसों को वापस करने का फैसला लिया है।
उत्तराखण्ड़ परिवहन प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि टाटा कंपनी के अधिकारियों से वार्ता कर सभी बसों को जल्द से जल्द लौटा दिया जाए। उन्होंने बताया कि अब बसों के गियर लीवर का टाटा कंपनी नया डिजाइन बनाएगी।सभी बिंदुओं पर टाटा कंपनी को सुधार करना होगा। इन बिंदुओं पर सीआईआरटी या फिर किसी अन्य एजेंसी के तकनीकी विशेषज्ञों व परिवहन निगम के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम दोबारा जांच करेगी।
नई बसों में खामियों को लेकर प्रदेश में राजनीति भी काफी गर्म रही थी, विपक्ष ने सरकार पर बस खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और विधानसभा शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर खूब हंगामा किया था।बाद में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने सदन को आश्वसत कराया था कि नई बसों को जांच से पहले रुट पर नहीं उतारा जायेगा और खामी पाई जाने पर बसें कंपनी को वापस की जाएंगी।