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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन को मिली फॉरेस्ट क्लियरेंस…

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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए फॉरेस्ट से क्लियरेंस मिल गया है, प्रोजेक्ट के सभी रेलवे स्टेशन पहाड़ी स्थापत्य शैली से बनेंगे।

पहाड़ के गांव रेल सेवा से जुड़ने का सपना देख रहे हैं। ये सपना जल्द ही पूरा होने वाला है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन का कार्य प्रगति पर है। स्टेशनों के नाम भी तय हो गए हैं। रेललाइन के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे होने के बाद भूमि-अधिग्रहण का काम पूरा हो गया है। रेललाइन बिछाने में एक और दिक्कत आ रही थी, इसके लिए वन विभाग का क्लीयरेंस मिलना जरूरी था। अब रेलवे को प्रोजेक्ट के लिए जरूरी फॉरेस्ट क्लियरेंस मिल गया है, जिसके बाद ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का काम रफ्तार पकड़ेगा। परियोजना के तहत रेलवे ने 70 फीसदी भू-अधिग्रहण के तहत मुआवजा भी दे दिया है। बुधवार को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर इस संबंध में एक बैठक हुई। जिसमें मुख्यमंत्री ने रेल लाइन की प्रगति के बारे में जाना। बैठक में सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर पौड़ी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारियों से कहा कि वो रेलवे के साथ समन्वय बनाकर काम करें। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जिस भी तरह की प्रशासनिक सहायता की जरूरत हो, रेलवे को मुहैया कराएं। मुआवजा वितरण के लिए हर जिले में सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम स्थापित किया जाए। मुख्यमंत्री ने रेलवे को सभी स्टेशनों को पर्वतीय शैली की स्थापत्यकला से निर्मित करने के लिए कहा।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन का काम तीन ब्लॉक सेक्शन में होगा। वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम फरवरी 2020 तक यानि अगले साल तक पूरा हो जाएगा। न्यू-ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का काम साल 2023-24 तक पूरा होगा। आखिरी में देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का काम होगा। इस ब्लॉक का काम साल 2024-25 तक पूरा होने की उम्मीद है। यानि कुछ सालों बाद उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र रेलसेवा से जुड़ जाएंगे। उत्तराखंड के चारों धामों को रेल सेवा से जोड़ने के लिए लगभग 327 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी। प्रोजेक्ट में कुल 21 रेलवे स्टेशन और 61 टनल होंगी। अलाइनमेंट-1 में उत्तरकाशी- बड़कोट, अलाइनमेंट-2 में डोईवाला-मनेरी, अलाइनमेंट-3 में कर्णप्रयाग-सोनप्रयाग व अलाइनमेंट-4 में साईकोट-जोशीमठ रेलवे लाइन का निर्माण प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री ने लोनिवि को ब्यासी-नरकोटा रोड पुल का निर्माण तेजी से करने के निर्देश दिए हैं, ताकि रेलवे की भारी मशीनरी को पहाड़ तक पहुंचाने में मदद मिल सके।