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पुलवामा हमला- बच्चों को अपने पिता, तो पिता को बेटे की शहादत पर है गर्व।

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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को आज एक साल हो गया है। इस आतंकी हमले में देश ने 40 जांबाज जवानों को खो दिया था। इस घटना को भले ही एक साल हो गया हो, लेकिन आज भी हर देशवासी के दिल में अपने जवानों को खोने का दर्द है। सरकार ने भले ही शहीदों के परिवार को आर्थिक सहायता व नौकरी दी लेकिन उस परिवार के उस सदस्य की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती।

पुलवामा हमले में उत्तराखण्ड के दो जवान भी हुए थे, जिसमें खटीमा के वीरेन्द्र सिंह राणा और उत्तरकाशी के मोहन लाल रतूड़ी भी शामिल थे। उनकी पत्नी, बच्चे व परिवार आज भी पुलवामा हमले को याद कर सहम जाते हैं, और आंखों में सिर्फ आंसू होते हैं।

खटीमा निवासी शहीद वीरेन्द्र सिंह की पत्नी की पति को याद करते हुए आज भी आंखे भर आती हैं, और सोचती हैं कि उन बच्चों को क्या दिलासा दूं जो रोज पूछते हैं.. पापा कब आएंगे शहीद की पत्नी बच्चों को दिलासा दिलाती हैं कि पापा भगवान के पास गए हैं।भगवान जब भेजेंगे तभी…। शहीद वीरेन्द्र सिंह के दो बच्चे हैं,उनका पुत्र बियान नर्सरी और पुत्री रूही यूकेजी में पढ़ रही है।

शहीद वीरेंद्र सिंह राणा की पत्नी ने बताया कि उन्हें 31 अक्तूबर 2019 से तहसील में अनुसेवक की नौकरी मिल गई है। राज्य सरकार से 25 लाख मिले और सीआरपीएफ से पेंशन मिल रही है। रेनू एक साल पूर्व के दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि आखिरी बार जब उनसे बात हुई थी तो उन्होंने यही कहा था कि रास्ते में हूं और अब पुलवामा पहुंचकर फोन करूंगा। शहीद की पत्नी रेनू कहती हैं कि उन्हें गर्व है कि उनके पति देश के काम आए। पिता को भी बेटे की शहादत पर गर्व है। कहते हैं ‘हम महाराणा प्रताप के वंशज हैं, हमारी रगों में देशभक्ति दौड़ती है। मेरे बेटे ने देश के लिए शहादत दी है, मुझे वीरेंद्र पर गर्व है।

वहीं पुलवामा हमले में शहीद दूसरे जवान उत्तरकाशी निवासी मोहन लाल रतूड़ी का परिवार देहरादून में रहता है, मोहनलाल की तीन बेटियां और दो बेटे हैं। पत्नी सरिता बताती हैं कि पति की शहादत के बाद अचानक परिवार की जिम्मेदार उन पर आ गई थी। शुरुआत में हौसला टूटने लगा था, लेकिन अब वह मजबूती के साथ परिवार को आगे बढ़ा रही हैं। इसके लिए वह सीआरपीएफ, सेना, सरकार का आभार प्रकट करती हैं।

 

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बेटी अनुसूया की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा बेटा दसवीं कक्षा का छात्र है। और सेना में अधिकारी बनना चाहता है। सरिता देवी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके पति ने देश के लिए शहादत दी। उन्हीं की बदौलत आज उन्हें पूरे समाज, सेना, सीआरपीएफ और सरकार से सम्मान मिल रहा है। साथ ही बच्चों को गर्व है कि उनके पिता देश के लिए शहीद हुए है। उनका परिवार मजबूत हौसलों के साथ रह रहा है।