देश के एक प्राथमिक शिक्षक ने पूरी दुनिया में अपना परचम लहराया है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाड़ी के एक जिला परिषद में प्रामइरी स्कूल के शिक्षक रणजीत सिंह डिसले को बच्चियों के लिए शिक्षा को बेहतर करने में भूमिका निभाने के लिए ग्लोबल टीचर प्राइज से सम्मानित किया गया है। इस पुरस्कार के लिए उनके साथ 12000 और शिक्षकों के नामांकन थे। रणजीत सिंह डिसले ने पुरस्कार मिलते ही यह भी घोषणा कर दी कि वह पुरस्कार राशि में से आधी उप-विजेताओं के साथ बाटेंगे।
रंजीत सिंह डिसले कहते हैं कि ज्ञान सिर्फ बांटने की चीज है, इस मुश्किल वक्त में शिक्षक हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि हर बच्चे को उसका शिक्षा का जन्मसिद्ध अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि शिक्षक हमेशा देने और बांटने में विश्वास करते हैं और इसीलिए उन्होंने अपने पुरस्कार की आधी रकम को उन शिक्षकों में बांटने का फैसला लिया है, जिन्होंने इस पुरस्कार के लिए शीर्ष-10 में जगह बनाई थी।
इस पुरस्कार के लिए जजों ने पाया कि डिसले ने यह सुनिश्चित किया कि लडकियां स्कूल आ सकें और बाल विवाह का सामना न करें। इसके साथ-साथ लडकियों को अच्छे परिणाम दिलाने में उन्होंने मेहनत की।
डिसले सोलापुर के परितेवादी स्थित जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन 2009 में जब वह इस विद्यालय में पहुंचे थे, तब वह स्कूल भवन जर्जर था। यह कुछ हद तक मवेशियों की रहने की जगह और स्टोर रूम जैसा था, उन्होंने तीजें बदलने का जिम्मा उठाया। डिसले ने सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों के लिए स्थानीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध हों। पाठ्य पुस्तकों को विद्यार्थियों की मातृभाषा में अनुवाद किया। साथ ही विशिष्ट क्यूआर कोड की व्यवस्था की, जिससे छात्र-छात्राएं ऑडियो कविताएं और वीडियो लेक्चर एवं कहानियां तथा होम वर्क पा सकें।