कोरोना संकट ने कई लोगों की नौकरी छीनी हैं, जिससे कारण हजारों लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस आर्थिक संकट के बीच अब आम आदमी की जेब और कटने जा रही है। जी हां अब आने वाले समय में आपको मोबाइल बिल के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ सकता हैं। दरअसल उच्चतम न्याायालय से दूरसंचार कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय मिला है, लेकिन भारतीय एयरटेल और वोडाफोन, आईडिया जौसी कंपनियों को अगले सात महीनों में अपने एजीआर का 10 फीसदी अदा करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यही कारण है कि मोबाइल कंपनियां इसकी भरपाई करने के लिए कॉल और डेटा की दरें महंगी कर सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दूरसंचार कंपनियों का प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) जल्दी ही 200 रूपए नहीं हुआ तो इन कंपनियों को चलाना कठिन हो जाएगा। ऐसे में कॉल और इंटरनेट डेटा दर में बढोतरी के अलावा कोई चारा नहीं है। अभी देश में मोबाइल कंपनियों की एआरपीयू काफी कम है। एयरटेल की 157 रूपए, वोडा आईडिया की 114 और जियो की 140 रूपए एआरपीयू अभी है। इन आंकड़ों के अनुसार सरकार को एजीआर का बकाया चुकाने में सबसे ज्यादा दिक्कत वोडा आइडिया को ही होगी।
भारती एयरटेल के चैयरमैैन सुनील भारती मित्तल ने हाल ही में अगले 6 महीने में मोबाइल सेवा शुल्क बढ़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि कम कीमत पर इंटरनेट उपलब्ध कराना दूरसंचार उद्योग के लिए लंबे समय तक व्यवहारिक नहीं है। माना जा रहा है कि अब मोबाइल कॉल और डेटा की लागत में दो दौर में बढ़ोत्तरी हो सकती है। अगले तीन से 6 महीने के अंदर कंपनियां कॉल और डेटा की लागत में 10 फीसदी की बढोत्तरी कर सकती है। उसके बाद अगले 12 से 18 महीने में एक और वृद्धि देखने को मिल सकती है। पिछले साल कॉल-डेटा की दरें 50 फीसदी बढ़ी थी।