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माँ मनसा देवी की महिमा , जहाँ किया था माँ मनसा देवी ने आराम।

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उत्तराखण्ड़ अनेकों धार्मिक स्थल हैं, जहां भगवान के विभिन्न रुपों में पूजा की जाती है। अब तक की धार्मिक यात्रा में सजग इंडिया आपको विभिन्न धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी दे चुका है, आज हम आपको आस्था के पुंज हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर ले चलते हैं। जिसके बारे में कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मुरादें मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। मान्यताओं के अनुसार मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। मां मनसा को नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी पूजा जाता है।मां मनसा का सबसे प्रसिद्ध एक शक्तिपीठ हरिद्वार में स्थित है। ये भी मान्यता है कि जिस वक्त महिषासुर ने धरती पर आतंक मचाया तो देवता परेशान हो उठे, उस वक्त मां मनसा ने देवताओं की इच्छा पूरी की और महिषासुर का वध किया। वध करने के बाद हरिद्वार में मां मनसा ने विश्राम किया और तभी से यहां माता का प्रसिद्ध मंदिर है। उस वक्त मां मनसा देवताओं की इच्छा पूरी करती थी और कलयुग में भी मां मनसा उसके दरबार आने वाले सभी लोगों की इच्छा पूरी करती है।
ये भी मान्यता है कि यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।मां मनसा शक्ति का ही एक रूप है, कहा जाता है कि मां मनसा कश्यप ऋषि की पुत्री थी, जो उनके मन से अवतरित हुई थी और मनसा कहलाई।मनसा देवी का यह मंदिर प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य के बीच मौ मनोकामनाएं मांगते हैं।जूद है, हरिद्वार शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर शिवालिक पहाड़ियों पर बिलवा पहाड़ पर स्थित है। नवरात्र के दौरान यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की कामना करते हैं। मां के इस मंदिर में पैदल भी पहुंचा जा सकता है, यहां रोपवे व्यवस्था भी है जिसे उड़नखटोला कहा जाता है।