शारदीय नवरात्रि का आज शनिवार को सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक की जाती है। देवी कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण यानी काले रंग का है, इसलिए इनको कालरात्रि कहा जाता है। इस देवी की पूजा से शुभ फल प्राप्त होता है। इस वजह से मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है। देवी को रातरानी का फूल प्रिय है, इसलिए पूजा में उनको यह फूल अर्पित करें। पूजा के बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती करना न भूलें।
आदिशक्ति मां दुर्गा ने राक्षसों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनका स्वरूप विकराल, दुश्मनों में भय पैदा करने वाला और कृष्ण वर्ण का है
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का रंग गहरे काले रंग का है और केश खुले हुए हैं। वह गर्दभ पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं। उनके एक बाएं हाथ में कटार और दूसरे बाएं हाथ में लोहे का कांटा है। वहीं एक दायां हाथ अभय मुद्रा और दूसरा दायां हाथ वरद मुद्रा में रहता है। गले में माला है।
मंत्र-ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
प्रार्थना –एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥