मथुरा विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सोनिका वर्मा की अध्यक्षता में मयूर बिहार कॉलोनी, कैलाश नगर, वृन्दावन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन पराविधिक स्वयंसेवक श्रीमती अर्चना यादव द्वारा करते हुए इस विधिक साक्षरता शिविर के महत्व व आयोजन पर प्रकाश डाला गया। पराविधिक स्वयंसेवक डा० अनिता गुप्ता द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये।
विधिक साक्षरता शिविर में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेश दीक्षित द्वारा पीएम केयर, उ०प्र० मुख्यमन्त्री बाल कल्याण योजना (सामान्य व कोविड) के सम्बंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। बच्चों द्वारा विभिन्न विधिक विषयों पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आमजनमानस को साक्षर किये जाने का बहुत ही सराहनीय प्रयास किया गया।
विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया गया कि अदालतों में लम्बित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली तथा उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार दिनांक 14 मई 2022 को प्रातः 10:00 बजे से राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिला स्तर से तहसील स्तर तक समस्त न्यायिक व प्रशासनिक न्यायालयों में किया जा रहा है।
इसमें वैवाहिक, पारिवारिक, मोटर दुर्घटना प्रतिकर, दीवानी, श्रम, बैंक वसूली, राजीनामा योग्य फौजदारी वाद, प्री-लिटिगेशन मामले आदि का निस्तारण सुलह समझौते के माध्यम से किया जायेगा। यदि किसी व्यक्ति का कोई प्रकरण न्यायालय में लम्बित है उसका निस्तारण सुलह-समझौते के माध्यम से कराकर लाभ उठाया जा सकता है। लोक अदालत में आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालन, कोर्ट फीस वापसी, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं। मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, पारिवारिक वाद, धारा 138 एन.आई.एक्ट चैक बाउन्स के मामले, बैंक मामले में पूर्व परीक्षण गोष्ठी का आयोजन कर पक्षकारों को राजीनामा के लिए प्रेरित किया जाता है। पक्षकारों को यह अवसर मिलता है कि वह दूसरे पक्ष की शर्तें जान सकें और तय कर सके कि किन शर्तो के तहत उनके प्रकरण का निस्तारण होगा। लोक अदालत में पक्षकारों को स्वयं या अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित होना होगा। न्यायालय से आपको सूचना पत्र मिलने पर न्यायालय में अवश्य उपस्थित हों। यदि सूचनापत्र नहीं मिलता है तो भी पक्षकार अपना प्रकरण लोक अदालत में रखवा सकते हैं। इसके लिए यथाशीघ्र न्यायालय में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करना चाहिए।
सचिव सोनिका वर्मा द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा के तत्वावधान में संचालित मध्यस्थता केन्द्र के सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि मध्यस्थता केन्द्र में न्यायिक अधिकारीगण व वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा दीवानी, पारिवारिक, चैक बाउन्स, दहेज आदि सुलह योग्य मामलों में पक्षकारों के मध्य सुलह प्रयास कर मामले का निस्तारण कराया जाता है। मध्यस्थता केन्द्र के माध्यम से होने वाली सुनवाई से लोगों के खर्च तो बचते ही हैं साथ ही साथ काफी दिनों से चल रहे उनके बीच का तनाव और विवाद भी खत्म हो जाता है। जिससे दोनों पक्षों का आपसी भाईचारा भी बरकरार होता है। मध्यस्थ की सहायता से विवादों को निपटाने का कार्य ही मध्यस्थता केन्द्र करता है। न्यायालय से मुकदमे के बोझ को कम करने के लिए ही मध्यस्थता केन्द्र खोला गया है ताकि लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय प्राप्त हो सके।