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उत्तराखंड में खनन पट्टे के बिना नहीं मिलेगा क्रेशर का लाइसेंस।

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प्रदेश सरकार अवैध खनन पर नकेल कसने के लिए नई खनन नीति में कड़े कदम उठाएगी। क्रेशर का लाइसेंस उसी को दिया जाएगा, जिसके पास खनन का पट्टा है। मौजूदा प्रावधानों के तहत बिना खनन पट्टे के क्रशर का लाइसेंस जारी हो रहा है, जिससे धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है।

इसके अलावा नई नीति में आवंटित पट्टे से 80 प्रतिशत खनन नहीं होने की स्थिति में उसे निरस्त कर दिया जाएगा। प्रदेश सरकार का खनन से राजस्व नहीं बढ़ रहा है, जिसके लिए अवैध खनन को सबसे बड़ा कारण माना गया है।

खनन नीति में मौजूद प्रावधानों से खनन माफिया पर नकेल कसने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन विभाग की समीक्षा के दौरान खनन से होने वाले राजस्व को दोगुना करने के निर्देश दिये।

इसके लिए उन्होंने मौजूद खनन नीति में सख्त प्रावधान करने के प्रस्तावों पर सहमति जताई है। विभाग ने अवैध खनन रोकने का नया फार्मूला बनाया है। इसके तहत क्रेशर लाइसेंस को सख्त बनाया जा रहा है।

अभी तक बिना खनन सामग्री निकालने का पट्टा होने पर भी क्रेशर लाइसेंस जारी कर दिया जाता था, लेकिन नई संशोधित नीति में उसी को क्रेशर का लाइसेंस मिलेगा, जिसके पास स्वीकृत पट्टा होगा।

ऐसा नहीं करने वाले क्रेशर मालिकों के लाइसेंस कैंसल होंगे। इससे विभाग के खनन पट्टों का आवंटन बढ़ेगा और राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके साथ अवैध खनन को रोकने के लिए इतना ही नहीं बल्कि स्वीकृत पट्टों पर प्रतिवर्ष निर्धारित खनन सामग्री का अस्सी प्रतिशत दोहन क्रेशर मालिक को करना होगा। ऐसा नहीं करने पर पट्टा कैंसल हो जाएगा।

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