करवा चौथ व्रत 2019: बन रहा ‘अमर सुहाग’ योग, जानिए व्रत का महत्व, नियम एवम विधि…

17 अक्टूबर यानी गुरुवार के दिन करवा चौथ पर्व पर 70 साल बाद बन रहा है ‘अमर सुहाग ‘योग, इस दिन चन्द्रमा अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ उदित होंगे अर्तार्थ रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होगा जो की अत्यंत फलदायी रहेगा। इसके लिए सुहागिनों को खास तरीके से पूजन करना होगा।करवा चौथ व्रत के कुछ अपने नियम होते हैं, जिनका पालन जरूरी होता है। व्रत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रिवाज हैं, जिसको सभी व्रती महिलाएं निभाती हैं। इन सबके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है। इसमें सरगी का उपहार, निर्जला व्रत का विधान, गौरी-गणेश और शिव की पूजा, शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाना, करवा चौथ की कथा का श्रवण, थाली फेरना आदि शामिल होता है।
हिंदू धर्म में करवा चौथ बहुत बड़ा त्योहार है, खासकर शादीशुदा महिलाओं के लिए. इस दिन सभी सुहागिने अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं. घरों में पकवान बनते हैं. सुहागिने पूरा श्रंगार करती हैं. कई महिलाएं सुबह सरगी खाती हैं, तो कुछ शाम की कथा के बाद पानी या चाय पीती हैं. लेकिन आज भी कई महिलाएं करवा चौथ का व्रत करते समय चांद निकलने तक अन्न-जल, कुछ भी ग्रहण नहीं करती. वहीं, इस दिन खास व्रत की पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाई जाने वाली सामग्रियों का भी खास ध्यान रखा जाता है इसी प्रकार पूजा विधि का खास ध्यान रखा जाता है,जानिये पूजा विधि-
1. सरगी का उपहार
सरगी से ही कौरवा चौथ के व्रत का प्रारंभ माना गया है। हर सास अपनी बहू को सरगी देती है और व्रत पूर्ण होने का आशीर्वाद देती है। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जो सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती है। जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिलती है ताकि वह व्रत आसानी से पूरा कर सके।
2. निर्जला व्रत का विधान
करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें व्रत रहने वाले व्यक्ति को पूरे दिन तक कुछ भी खाना और पीना वर्जित रहता है। जल का त्याग करना होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले। हालांकि गर्भवती, बीमार और स्तनपान कराने वाली महिलाएं दूध, चाय, जल आदि ग्रहण कर सकती हैं।
3. शिव और गौरी की पूजा
करवा चौथ के व्रत में सुबह से ही श्री गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति प्राप्त हो सके। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है।
4. करवा चौथ की कथा का श्रवण
दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं। वहां पंडित जी या उम्रदराज महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं।
5.करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
दिल्ली को मानक मानते हुए अगर बात की जाए तो दिल्ली में करवा चौथ की रात यानी 17 अक्टूबर को चांद रात के 8 बजकर 16 मिनट पर निकलेगा। हालांकि अलग- अलग शहरों में चांद के निकलने में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। आइए जानते हैं देश के प्रमुख शहरों में किस समय पर होंगे चांद के दर्शन…
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