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कालाधन रखने वालों की अब खैर नहीं…

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नई दिल्ली : सरकार ने टैक्स चोरी को लेकर कठोरता बरतते हुए नए मानदंडों को तय किया है, अब टैक्स चोरी के मामले में लोग बच नहीं पाएंगे। खासतौर से विदेशों में कालाधन जमा करने वालों पर नकेल कसी जाएगी। पहले इस कैटेगरी के लोग भारी जुर्माना देकर सजा से बच जाते थे उसे अब खत्म कर दिया गया है। सरकार ने कंपाउंडिंग ऑफ ऑफेंसेज डायरेक्ट टैक्स लॉज, 2019 के तहत अपराधों की कंपाउंडिंग पर नई गाइडलाइन्स में शुक्रवार को ऐलान किया कि बेनामी लेनदेन और अघोषित विदेशी आय से संबंधित अपराधों को नॉन-कंपाउंडेबल श्रेणी में रखा गया है।

टैक्स चोरी से निपटने में दिक्कत ऐसे समय में आई है जब फाइनेंशियल ईयर 2019 में डायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन 12 लाख करोड़ रुपये के टार्गेट से कम होने की उम्मीद की जा रही है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने फरवरी में पेश अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2020 के लिए 13.8 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन टार्गेट निर्धारित किया था।

डायरेक्ट टैक्स पॉलिसी बनाने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने नई गाइडलाइन्स में कहा कि किसी भी तरीके से अघोषित विदेशी बैंक अकाउंट या एसेट से जुड़े किसी भी अपराध को छोड़ा नहीं जा सकता है। भारत ने विदेशों में रखी संपत्ति पर अंकुश लगाने और इस तरह के धन पर टैक्स और जुर्माना लगाने के लिए 2015 में काले धन (अघोषित विदेशी आय और एसेट) और कर अधिनियम को लागू किया था।

सीबीडीटी ने नई गाइलडलाइन्स में यह भी कहा कि बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 के तहत कवर किए गए किसी भी गलत काम से जुड़े अपराध भी माफी के योग्य नहीं है। नई गाइडलाइन्स में कहा गया कि कंपाउंडिंग ऑफ ऑफेन्स सही नहीं है। नई गाइडलाइन्स सोमवार से दायर किए गए कंपाउंडिंग के अनुरोधों पर लागू होंगी, जबकि पहले से मौजूद मामलों को पहले से मौजूद मानदंडों के जरिए नियंत्रित किया जाएगा।

भारत अपने कर ट्रीटी सहयोगी देशों से उन सभी उपलब्ध सूचनाओं का इस्‍तेमाल कर उनकी पहचान कर रहा है जिनकी विदेशी आय है और उसका खुलासा नहीं किया गया है। भारत और यूएस अब अपने संबंधित नागरिकों के फाइनेंशियल एसेट के बारे में जानकारी दूसरे देश में साझा करते हैं। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस तरह की जानकारी एक दूसरे के साथ बांटने से विदेशों में पैसा छिपाना कठिन हो गया है।