झारखंड विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है अब तक के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन बहुमत से एक सीट पीछे है। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए किसी पार्टी या गठबंधन को 41 सीट लाना जरूरी है। कांग्रेस-जेएमएम और राजद गठबंधन फिलहाल 40 सीटों पर आगे हैं जबकि भाजपा के उम्मीदवार 32 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं।झारखंड विधानसभा चुनाव परिणामों के रुझान को देखते हुए राज्य की सत्ता से भाजपा की विदाई तय हो गई है।दो साल के अंदर हुए चुनावों में यह सातवां राज्य है जहां से एनडीए ने सत्ता गवां दी है।
लगातार दो लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ा गठबंधन होने के बावजूद सत्ता से बाहर हो गई, इसमें उसकी तीस साल पुरानी पार्टनर शिवसेना के चुनाव के बाद अलग होने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। अब झारखंड में भाजपा सत्ता से बाहर होती दिख रही है तो इसमें भी गठबंधन का चुनाव से पहले ही टूट जाना प्रमुख वजह के रूप में दिख रहा है।
दरअसल, झारखंड बनने से अब तक करीब 20 साल भाजपा की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन को भाजपा इस दफा अपने साथ रखने में नाकाम रही। वजह वही बनी जिसे महाराष्ट्र में बार बार शिवसेना कहती रही कि गठबंधन में दूसरे दल को छोटा मानने का अहंकार भाजपा में व्याप्त हो गया है।आजसू लगातार भाजपा के साथ रही है लेकिन इस दफा उसकी 17 सीटों की मांग को भाजपा ने ठुकरा दिया तो वह 58 सीटों पर सीधी भाजपा के खिलाफ मैदान में थी।महाराष्ट्र में बार-बार अपने स्ट्राइक रेट की दुहाई देती रही भाजपा ने झारखंड में 2014 में गठबंधन में 8 सीटें लड़कर 5 सीटें जीतने वाली यानी 62.5 फीसदी स्ट्राइक रेट वाली आजसू को 17 सीटें देने से इंकार कर दिया, इसका सीधा फायदा झारखंड मुक्ति मोर्चे के नेतृत्व वाले कांग्रेस और राजद की त्रयी वाले गठबंधन को मिलता दिख रहा है। आजसू को भी सत्ता में कोई भागीदारी नहीं मिलने जा रही है लेकिन उसने पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें जीतकर भाजपा का खेल तो बिगाड़ ही दिया है।