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इंदौर के बायो मॉडल रेमिडिएशन पद्धति की तर्ज पर देहरादून में खत्म होगा कूड़े का ‘पहाड़’…

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सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में मौजूद कूड़े का पहाड़ इंदौर मॉडल की तर्ज पर खत्म किया जाएगा। इंदौर ने बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये करीब 40 साल से एकत्र कचरे का निस्तारण किया था। इसी तर्ज पर ट्रेंचिंग ग्राउंड में एकत्र 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े का निपटारा होगा।

इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है, जिसने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़े बरसों पुराने कचरे को बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये साफ किया है। वहां करीब 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ गायब हो चुके हैं।

जबकि ट्रेंचिंग ग्राउंड को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने का कार्य जारी है। इसका लाभ इंदौर को स्वच्छता सर्वे में मिला। ट्रेंचिंग ग्राउंड की सफाई के चलते उसने सर्वे में पहला स्थान हासिल किया। सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड की बात करें तो यहां वर्ष 2002 से कूड़ा पड़ रहा था।

जनवरी-2018 में शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट शुरू होने के चलते यहां दिसंबर-2017 से कूड़ा पड़ना बंद हो गया था। लेकिन, तब तक यहां 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े के पहाड़ खड़े हो गए। अब मुख्यमंत्री और मेयर इसका निस्तारण कर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। इससे निगम की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी।

बता दें कि निगम ने वर्ष 2017 में कचरे के निस्तारण और पार्क निर्माण को लेकर आवेदन मांगे गए थे। इस पर हैदराबाद इंटीग्रेटेड एमएसडब्ल्यू प्रा. लि. कंपनी ने प्रस्ताव दिया था। लेकिन, मामला शासन में लंबित होने के चलते कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब इस दिशा में फिर से कार्य शुरू हो गया है।

बायो रेमिडिएशन पद्धति से इस तरह होगा निपटान 
बायो रेमिडिएशन पद्धति के तहत मौजूद कूड़े को प्रोसेस किया जाता है। इसके लिए एक से दो ट्रॉमल लगाए जाते हैं। जिसके जरिये आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) और कंपोस्ट को कूड़े में से अलग किया जाता है। शेष का एचडीपीई लाइनर, जियो सिंथेटिक क्लेलाइनर आदि प्रोसेस के जरिये वैज्ञानिक तरीके से उसकी कैपिंग कर दी जाती है।

कंपोस्ट और आरडीएफ से होगी कमाई 
बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये कूड़े का निस्तारण करने के बाद जो कंपोस्ट और आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) निकलेगा। उसके जरिये निगम की कमाई होगी। कंपोस्ट का प्रयोग जहां खेतों में किया जा सकेगा वहीं ज्वलनशील होने के चलते आरडीएफ का इस्तेमाल शीशमबाड़ा स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में बनने वाले वेस्ट टू इनर्जी प्लांट में किया जा सकेगा।

इंदौर ने 40 साल से एकत्र हो रहे कूड़े के पहाड़ का जिस तरह से निस्तारण किया वह सराहनीय है। हम सहस्त्रधारा रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में एकत्र कूड़े के निस्तारण के लिए वहां का मॉडल अपनाएंगे। इसके लिए टीम को वहां भेजा जाएगा, जिससे उसका अनुसरण करने में आसानी हो सके।
-सुनील उनियाल गामा, मेयर