कोरोनाकाल में शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। पहली बार बच्चे निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में ले रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामीण भारत में 20 फीसदी बच्चों के पास किताबें नहीं थी। गैर सरकारी संगठन प्रथम की असर-2020 रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। असर ने यह सर्वे सितंबर में किया है। तब स्कूलों के बंदी के थह महीने पूरे हो चुके थे। इस दौरान 52227 घरों में फोन के जरिए सर्वेक्षण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2020 में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लड़कों का प्रतिशत 66.4 फीसदी था, जबकि सितंबर 2018 में यह 62.8 फीसदी था। इसी प्रकार लडकियों का प्रवेश 70 से बढ़कर 73 फीसदी हुआ है।
विशेषज्ञों के अनुसार सरकारी स्कूलों में बढ़े दाखिलों की दो वजह हो सकती हैं। एक रोजगार खोने से उत्पन्न हुई आर्थिक असुरक्षा के कारण अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों का रूख किया, दूसरा श्रमिकों के गांवों में लौटने से सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया।